नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले पर फिलहाल कोई अंतिम आदेश नहीं दिया, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से किए गए आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए अंतरिम राहत प्रदान की। इसके तहत अब अगले सात दिनों तक वक्फ बोर्ड में किसी भी नई नियुक्ति पर रोक लगी रहेगी और वक्फ बाय यूजर के तहत घोषित संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान भारत सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि तत्काल अंतरिम आदेश पारित न किया जाए और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए केंद्र को 7 दिनों की मोहलत दी है।
सुनवाई का प्रमुख बिंदु: यथास्थिति बनाए रखने का आश्वासन
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की गैरमौजूदगी में तीन जजों की विशेष पीठ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने केंद्र से यह स्पष्ट किया कि इस दौरान कानून के उन प्रावधानों को लागू न किया जाए जिन पर विवाद है।
एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि
वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 के अंतर्गत कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
वक्फ बाय यूजर के तहत रजिस्टर्ड संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा।
कलेक्टर की ओर से संपत्तियों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए आदेश में शामिल किया कि स्थिति को यथावत बनाए रखा जाए, जिससे याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को कोई नुकसान न पहुंचे।
सरकार ने कहा कानून पूर्व-निर्धारित सोच पर आधारित
सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भी दलील दी कि वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने से पहले विचार-विमर्श की पूरी प्रक्रिया अपनाई गई थी। एसजी मेहता ने कहा, “यह कानून गांवों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और धार्मिक संपत्तियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यह कोई एकतरफा फैसला नहीं था।”
कोर्ट की चिंता बिना दस्तावेजों के कैसे होगा वक्फ का निर्धारण?
इससे पहले बुधवार की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि वक्फ बाय यूजर जैसे प्रावधानों को कैसे लागू किया जाएगा, जब अधिकांश मामलों में लोगों के पास वैध दस्तावेज नहीं होंगे। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक संस्थानों या ट्रस्टों का सदस्य बनने की अनुमति दी जाएगी, जैसा कि वक्फ बोर्ड के प्रावधानों में मुस्लिमों को अनिवार्य सदस्यता दी गई है।
अगली सुनवाई 7 दिन बाद, याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सात दिनों में विस्तृत जवाब मांगा है और याचिकाकर्ताओं को इसके बाद पांच दिनों के भीतर काउंटर-रेप्लाई दाखिल करने का समय दिया गया है। इसके बाद अदालत इस मामले पर अंतरिम आदेश के लिए सुनवाई करेगी।