बीजिंग: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के हालिया बयान ने भारत में चिंताओं को बढ़ा दिया है। यूनुस ने अपनी चीन यात्रा के दौरान बंगाल की खाड़ी में चीनी निवेश को आमंत्रित करते हुए खुद को “समुद्र का संरक्षक” बताया। उनका यह बयान एक वीडियो में सामने आया, जो 26 से 29 मार्च के बीच रिकॉर्ड किया गया था। इस दौरे के दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और बांग्लादेश में चीनी आर्थिक विस्तार का प्रस्ताव दिया।
यूनुस का बयान और “चिकेन्स नेक” का संदर्भ
वीडियो में यूनुस कहते हैं, “भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हुए हैं और उनके पास पानी तक कोई पहुंच नहीं है। हम इस क्षेत्र के समुद्री संरक्षक हैं, जिससे चीन के लिए यहां निवेश, उत्पादन और व्यापार के नए अवसर खुलते हैं।” उनका यह बयान भारत के “चिकेन्स नेक” (सिलीगुड़ी कॉरिडोर) की ओर इशारा करता है, जो पश्चिम बंगाल का एक 22 किमी चौड़ा संकीर्ण गलियारा है। यह भारत को उसके पूर्वोत्तर राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा—से जोड़ता है। इसकी रणनीतिक अहमियत बहुत अधिक है क्योंकि इसके पश्चिम में नेपाल, उत्तर में भूटान और दक्षिण में बांग्लादेश स्थित है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस संकरे गलियारे पर किसी भी प्रकार का खतरा पूर्वोत्तर को बाकी भारत से काट सकता है, जो गंभीर सुरक्षा चुनौती बन सकता है।
भारत के लिए चिंता के संकेत
यूनुस का यह बयान बांग्लादेश की नीति और इरादों पर सवाल खड़ा करता है। खासकर ऐसे समय में जब शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अंतरिम सरकार सत्ता में आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत को कूटनीतिक और सामरिक दबाव में लाने का प्रयास हो सकता है। यह क्षेत्र पहले से ही बाहरी खतरों के प्रति संवेदनशील है। उत्तर में चीन-भूटान सीमा और दक्षिण में बांग्लादेश की निकटता इसे और अधिक जोखिम भरा बनाती है। ऐसे में यूनुस का बयान इस आशंका को जन्म देता है कि क्या बांग्लादेश चीन के साथ मिलकर भारत के इस रणनीतिक क्षेत्र को प्रभावित करने की योजना बना रहा है?
भारत के लिए आगे की राह
यूनुस के इस बयान के बाद भारत को अपनी सुरक्षा रणनीति और कूटनीतिक संबंधों पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है। बंगाल की खाड़ी में बढ़ती चीनी गतिविधियों और बांग्लादेश के बदलते रुख पर बारीकी से नजर रखना भारत के लिए आवश्यक हो गया है।