Baruraj Vidhan Sabha: मुजफ्फरपुर जिले की महत्वपूर्ण सीट बरूराज विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 96) बिहार की राजनीति का एक अहम केंद्र रही है। यहां का चुनावी इतिहास न सिर्फ स्थानीय समीकरणों बल्कि प्रदेश स्तर की राजनीति की दिशा भी तय करता आया है। 1951 से लेकर अब तक इस सीट पर कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी और बीजेपी का दबदबा अलग-अलग समय में रहा है।
चुनावी इतिहास
1951 से 1962 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के रामचंद्र प्रसाद साही ने यहां परचम फहराया। हालांकि 1967 में हार के बाद 1969 में उन्होंने वापसी की, लेकिन 1985 से 2000 तक यह सीट शशि कुमार राय के कब्जे में रही। उन्होंने अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ा और जीते, चाहे वह एलकेडी, जनता दल या जेडीयू क्यों न रहा हो। यह दौर बताता है कि बरूराज में व्यक्तिगत प्रभाव और जातीय समीकरण कितने गहरे हैं।
Kanti Vidhansabha 2025: समीकरण बदलेंगे या फिर दोहराएगी राजनीति इतिहास?
2010 से 2015 तक आरजेडी का मजबूत कब्जा रहा। नंद कुमार राय ने 2015 में भाजपा उम्मीदवार को हराया था, लेकिन 2020 में समीकरण पलट गए। उस चुनाव में भाजपा के अरुण कुमार सिंह ने आरजेडी के नंद कुमार राय को 43,654 वोटों के भारी अंतर से हराकर इस सीट को भाजपा की झोली में डाल दिया। भाजपा उम्मीदवार को 87,407 वोट मिले जबकि आरजेडी 43,753 पर सिमट गई। यहां तक कि बीएसपी को भी 22,650 वोट मिले, जिसने विपक्षी वोटों को और ज्यादा बिखेर दिया।
जातीय समीकरण
अब 2025 के चुनाव से पहले बरूराज में जातीय समीकरण सबसे ज्यादा निर्णायक बनते दिख रहे हैं। यहां मुस्लिम, राजपूत, भूमिहार और रविदास मतदाता बड़ी संख्या में हैं, जबकि ब्राह्मण, कोइरी और कुर्मी वोटरों का भी प्रभावी दखल है। 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र की कुल 4,30,316 आबादी में 93.36% ग्रामीण और केवल 6.64% शहरी है। अनुसूचित जाति का अनुपात 12.88% और अनुसूचित जनजाति का अनुपात 0.07% है। वहीं 2019 की मतदाता सूची बताती है कि यहां 2,71,213 पंजीकृत मतदाता हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की 2020 की जीत ने इस सीट पर सत्ता का नया समीकरण बना दिया है। हालांकि आरजेडी भी जातीय आधार और परंपरागत समर्थन के सहारे वापसी की कोशिश में है। मुसलमान और यादव वोटरों का ध्रुवीकरण आरजेडी को फायदा पहुंचा सकता है, लेकिन भाजपा अपने मजबूत वोट बैंक और विकास की राजनीति के सहारे इस बढ़त को बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
बरूराज विधानसभा का चुनावी मैदान 2025 में दिलचस्प और संघर्षपूर्ण दिख रहा है। यह सीट एक बार फिर साबित करेगी कि बिहार की राजनीति में स्थानीय समीकरण किस तरह प्रदेश की बड़ी तस्वीर को प्रभावित करते हैं।





















