नई दिल्ली : अटारी-वाघा बॉर्डर पर रोज़ाना होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी एक बार फिर शुरू हो गई है – लेकिन इस बार माहौल बदला हुआ है, तेवर सख्त हैं और संदेश सीधा: अब न दोस्ती का दिखावा होगा, न दिखेगी कोई नरमी!
करीब दो हफ्तों की रोक के बाद बीएसएफ ने परंपरा तो जारी रखी है, लेकिन अब से भारत की ओर से न तो बॉर्डर गेट खोले जाएंगे और न ही पाकिस्तान रेंजर्स से हाथ मिलाया जाएगा। यह बदलाव सिर्फ एक रस्म का संशोधन नहीं, बल्कि पाकिस्तान को एक तीखा राजनीतिक संदेश है – अब सब्र का पैमाना भर चुका है!
इस फैसले के पीछे सीधे तौर पर अप्रैल 2025 में पाहलगाम में हुए वहशियाना आतंकी हमला है, जिसमें 26 मासूम नागरिकों की जान चली गई। इस हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो चुके हैं।
भारत ने केवल बीटिंग रिट्रीट में बदलाव ही नहीं किया, बल्कि एक के बाद एक कई निर्णायक कदम उठाए – अटारी एकीकृत चेकपोस्ट को बंद किया गया, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से निकाला गया और व्यापारिक रिश्तों पर भी ब्रेक लगा दिया गया।
1959 से चली आ रही यह सेरेमनी, जो कभी शांति और अनुशासन का प्रतीक मानी जाती थी, अब एक कड़े राष्ट्रहित के रुख की झलक बन चुकी है। गगनभेदी नारों, मर्दाना चाल और शौर्य के प्रदर्शन के बीच अब पाकिस्तान के लिए कोई स्वागत नहीं – न हाथ बढ़ेगा, न दरवाज़ा खुलेगा! इस घटना के बाद अब बीटिंग रिट्रीट एक रस्म नहीं, राष्ट्र का रुख है – और यह रुख बिल्कुल साफ है!