बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान तेजी से चढ़ता जा रहा है। महागठबंधन की बहुप्रतीक्षित बैठक से कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस नेता और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने एक बड़ा सियासी विस्फोट कर दिया है। सीमांचल की राजनीतिक जमीन को केंद्र में रखते हुए पप्पू यादव ने साफ शब्दों में कहा है कि “सीमांचल कांग्रेस का नैतिक और राजनीतिक गढ़ है, और यहां की अधिकतर सीटें कांग्रेस को दी जानी चाहिए।”
सीट शेयरिंग पर ‘सीमांचली’ दांव
पूर्णिया में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पप्पू यादव ने महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि सीमांचल के लोग जात-पात से ऊपर उठकर कांग्रेस को वोट देना चाहते हैं। यहां कांग्रेस का नैतिक अधिकार है, आरजेडी को यह मानना होगा। उन्होंने आगे यह भी कहा कि बिहार में कांग्रेस को कम से कम 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, तभी जाकर एनडीए को वाकई में टक्कर दी जा सकती है।
गठबंधन के भीतर दबाव और द्वंद्व
पप्पू यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने महागठबंधन के अंदर कांग्रेस की स्थिति और साथी दलों की नीति पर तीखा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब मुद्दों की बात आती है, तो कोई भी कांग्रेस के साथ खड़ा नहीं होता। दबाव कांग्रेस पर डाला जाता है, पर लड़ाई के वक्त सभी पीछे हट जाते हैं।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर गहन मंथन चल रहा है। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि बीजेपी कांग्रेस को असली प्रतिद्वंद्वी मानती है, जबकि महागठबंधन के कुछ सहयोगी दल भाजपा विरोध में ढुलमुल रवैया अपनाते हैं।
मुख्यमंत्री चेहरा: चुनाव के बाद तय हो!
मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी उन्होंने एक अलग और अहम रुख अपनाया। तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना आरजेडी का अधिकार है, लेकिन हर दल चाहता है कि उसका नेता शीर्ष पद पर पहुंचे। इसलिए बेहतर होगा कि चुनाव के बाद लोकतांत्रिक तरीके से मुख्यमंत्री चेहरा तय किया जाए – और इसमें कांग्रेस की भूमिका निर्णायक होनी चाहिए।