Bihar Election 2025: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के प्रदेश महासचिव राणा रणधीर सिंह चौहान और उनकी पत्नी एवं बेलसंड की पूर्व विधायक सुनीता सिंह चौहान ने पार्टी से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) का दामन थाम लिया है।
चौहान दंपति के इस कदम से बेलसंड विधानसभा में सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। राणा रणधीर सिंह अब बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि सुनीता सिंह चौहान ने साफ कहा कि जेडीयू में टिकट बंटवारे की प्रक्रिया “अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण” रही है। उनके अनुसार, पार्टी ने समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर बाहरी चेहरों को प्राथमिकता दी, जिससे लंबे समय से जुड़े नेताओं में असंतोष गहराया है।
2020 के विधानसभा चुनाव में सुनीता सिंह चौहान ने बेलसंड सीट से जेडीयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी। उस समय उन्होंने स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ और विकास कार्यों के बूते अपनी पहचान बनाई थी। लेकिन इस बार जब जेडीयू ने अपनी फाइनल लिस्ट जारी की, तो बेलसंड सीट किसी और उम्मीदवार को सौंप दी गई। इससे नाराज होकर चौहान दंपति ने पार्टी को अलविदा कहने का फैसला किया।
RJD में टिकट के लिए शुरू हुई बगावत.. रितु जायसवाल ने खोला मोर्चा
राणा रणधीर सिंह, जो लंबे समय से जेडीयू के प्रदेश महासचिव के पद पर रहे, उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए वर्षों तक मेहनत की, लेकिन टिकट वितरण में “योग्यता के बजाय राजनीतिक गणित” को तरजीह दी गई। उन्होंने कहा कि अब वे बसपा के साथ “नई शुरुआत” कर रहे हैं, क्योंकि बसपा उन्हें “सम्मान और अवसर” दे रही है।
बसपा ने राणा रणधीर को बेलसंड सीट से आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया है। मायावती की पार्टी इस बार बिहार में अकेले चुनाव मैदान में उतर रही है और नए चेहरों को आगे लाने की रणनीति पर काम कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बसपा का यह कदम न सिर्फ जेडीयू के लिए चुनौती है, बल्कि बेलसंड जैसी सीटों पर वोटों का समीकरण भी बिगाड़ सकता है।
बेलसंड में जेडीयू का परंपरागत वोट बैंक मजबूत माना जाता था, लेकिन अब राणा रणधीर सिंह और सुनीता चौहान के बसपा में जाने से एनडीए (NDA) के लिए यह सीट मुश्किल बन सकती है। स्थानीय स्तर पर जेडीयू के कार्यकर्ता दो धड़ों में बंटे हुए हैं — एक वर्ग पार्टी के साथ बना हुआ है, जबकि दूसरा चौहान दंपति के समर्थन में खड़ा दिख रहा है।
जेडीयू के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कहा कि “हमारे पास कई मजबूत उम्मीदवार हैं। यह सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया है, चुनाव से पहले कुछ लोग जाते हैं और नए लोग जुड़ते हैं।” हालांकि राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो यह बयान पार्टी के अंदर के असंतोष को दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।






















