मधुबनी जिले की बेनीपट्टी विधानसभा सीट (Benipatti Vidhansabha) बिहार की राजनीति में हमेशा से अहम रही है। यह सीट लंबे समय तक कांग्रेस के कब्जे में रही और यहां से कई बार पार्टी ने जीत दर्ज की। लेकिन समय के साथ बदलते राजनीतिक हालात ने यहां के समीकरण बदल दिए और आज यह सीट भारतीय जनता पार्टी के पास है। यही वजह है कि आने वाले चुनाव में यह सीट एक बार फिर सुर्खियों में रहने वाली है।
राजनीतिक इतिहास
1957 में पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस के छोटे प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज कर इस सीट पर पार्टी का आधार मजबूत किया। इसके बाद सीपीआई का दबदबा देखने को मिला और तेजनारायण झा ने 1962, 1967, 1972 और 1977 में लगातार जीत हासिल की। वहीं 1969 में एसएसपी के वैद्यनाथ झा विजयी रहे। कांग्रेस की वापसी 1980, 1985 और 1990 में हुई, जब योगेश्वर झा ने तीन बार लगातार जीत दर्ज की। 1995 में निर्दलीय उम्मीदवार शालीग्राम यादव ने सभी दलों को चुनौती दी और विधायक बने।
पिछले चुनाव के नतीजे
2000 के दशक में यहां की राजनीति ने नया मोड़ लिया। 2010 के चुनाव में भाजपा के विनोद नारायण झा ने जीत दर्ज की और सीट अपने नाम की। हालांकि 2015 में कांग्रेस की भावना झा ने उन्हें हराकर कांग्रेस को वापसी दिलाई। इस चुनाव में कांग्रेस को 55,978 वोट मिले, जबकि भाजपा को 51,244 वोट मिले थे। लेकिन 2020 में भाजपा ने फिर से मजबूती दिखाते हुए कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। विनोद नारायण झा ने भावना झा को 32,652 वोटों से हराया। भाजपा को 78,862 वोट मिले जबकि कांग्रेस को 46,210 वोटों पर संतोष करना पड़ा।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण इस सीट की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां ब्राह्मण मतदाता सबसे बड़ी संख्या में हैं और कुल मतदाताओं का लगभग एक चौथाई हिस्सा हैं। यादव मतदाता करीब 10% हैं, जबकि पासवान और रविदास भी प्रभावशाली भूमिका में रहते हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 48,244 है, जो लगभग 16.1% है। अनुसूचित जाति मतदाता करीब 39,794 यानी 13.28% हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 2020 में 2,99,650 थी, जिनमें से लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं।
Harlakhi Vidhansabha 2025 : सीमावर्ती सीट पर बदलता समीकरण.. अब JDU का दबदबा
बेनीपट्टी का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां मतदाता बदलाव को पसंद करते हैं और जातीय समीकरण के साथ-साथ उम्मीदवार की लोकप्रियता भी अहम रहती है। कांग्रेस और सीपीआई का गढ़ रही यह सीट अब भाजपा के पास है। लेकिन बदलते हालात और महागठबंधन की रणनीति के बीच 2025 का चुनाव इस सीट पर बेहद दिलचस्प मुकाबला लेकर आ सकता है।






















