दरभंगा जिले की बेनीपुर विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक खास जगह रखती है। यह सीट निर्वाचन क्षेत्र संख्या 80 के अंतर्गत आती है और पहली बार 1967 में यहां मतदान हुआ था। उस समय कांग्रेस के भूप नारायण झा ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) के जीपी यादव को 22 हजार से अधिक वोटों से हराकर अपनी जीत दर्ज की थी। लेकिन राजनीति का मिजाज ज्यादा स्थिर नहीं रहा। 1969 और 1972 में हरिनाथ मिश्रा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल कर सीट पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। इसके बाद हुए परिसीमन में बेनीपुर विधानसभा सीट का अस्तित्व ही खत्म हो गया और लंबे समय तक यह सीट बिहार की चुनावी राजनीति से गायब रही।
चुनावी इतिहास
साल 2008 में परिसीमन के दौरान बेनीपुर सीट दोबारा अस्तित्व में आई और 2010 में यहां पहली बार वोट पड़े। जेडीयू-भाजपा गठबंधन के तहत भाजपा ने गोपाल ठाकुर को मैदान में उतारा और उन्होंने आरजेडी के हरे कृष्ण यादव को शिकस्त देकर सीट अपने नाम कर ली। यह चुनाव बताता है कि जब जातीय समीकरण और गठबंधन रणनीति सही बैठते हैं, तो नतीजे बदल जाते हैं।
2015 का चुनाव इस सीट की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हुआ। जेडीयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर आरजेडी-कांग्रेस के महागठबंधन का साथ दिया और सुनील कुमार चौधरी को उम्मीदवार बनाया। उन्होंने भाजपा के मनोज ठाकुर को मात देकर विधानसभा की राह पकड़ी। इससे यह भी साफ हो गया कि बेनीपुर में केवल पार्टी की ताकत ही नहीं बल्कि राजनीतिक गठजोड़ और जातीय गणित भी अहम है।
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2020 में फिर से बेनीपुर सीट पर सियासी जंग देखने को मिली। इस बार जेडीयू के बिनय कुमार चौधरी ने कांग्रेस के मिथिलेश चौधरी को 6590 वोटों से हराया। आंकड़े बताते हैं कि बिनय चौधरी को 61,416 वोट मिले जबकि मिथिलेश चौधरी को 54,826 वोट हासिल हुए। कांग्रेस के मजबूत प्रयास के बावजूद जेडीयू ने 37.58% वोट शेयर हासिल किया और कांग्रेस को 33.55% पर रोक दिया। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के कमल राम विनोद झा 17,616 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
जातीय समीकरण
बेनीपुर की राजनीति जातीय समीकरणों पर टिकी रहती है। यह सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है और ब्राह्मण मतदाता यहां के नतीजों पर सीधा असर डालते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम, यादव, पासवान, कुर्मी, राजपूत और रविदास जातियों की भी मजबूत भागीदारी रहती है। यही कारण है कि यहां का चुनाव हर बार अलग रंग दिखाता है। 2020 के चुनाव में कुल 2,66,586 मतदाता थे जिनमें पुरुष मतदाता 52.57% और महिला मतदाता 47.43% थे।
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बेनीपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास यह साबित करता है कि यहां जीत किसी एक पार्टी के प्रभाव भर पर निर्भर नहीं होती बल्कि जातीय समीकरण, गठबंधन की दिशा और उम्मीदवार की विश्वसनीयता मिलकर नतीजा तय करते हैं। यही वजह है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर बिहार की राजनीति का हॉटस्पॉट बनने जा रही है।






















