नई दिल्ली : ईरान पर इजरायल के हालिया सैन्य हमले के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की। इस दौरान नेतन्याहू ने पीएम मोदी को ईरान के साथ बढ़ते तनाव और हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब मध्य पूर्व में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं, और इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों, जिसमें नतांज सुविधा भी शामिल है, पर बड़े पैमाने पर हमले किए हैं।
इजरायल और ईरान के बीच तनाव
इजरायली सैन्य सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हुई है। ईरान ने इस हमले को “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए 100 से अधिक ड्रोनों के साथ जवाबी कार्रवाई की, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चेतावनी दी है कि परमाणु सुविधाओं पर हमले अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए गंभीर खतरा हैं।
पीएम मोदी की शांति की अपील
पीएम मोदी ने इस बातचीत के बाद अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, “इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का फोन आया। उन्होंने मुझे मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी। मैंने भारत की चिंताओं को साझा किया और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया।”
भारत ने पहले भी इस तनाव को लेकर चिंता जताई थी और दोनों देशों से तनाव बढ़ाने वाले कदमों से बचने की अपील की थी।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं
नेतन्याहू ने पीएम मोदी के अलावा जर्मन चांसलर, फ्रांस के राष्ट्रपति, और जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, और ब्रिटिश प्रधानमंत्री से भी बात करने की योजना बनाई है। इजरायली पीएम कार्यालय ने कहा कि विश्व नेताओं ने ईरान के खतरे के मद्देनजर इजरायल की रक्षा जरूरतों को समझा है। वहीं, अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि उसने इन हमलों में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई, हालांकि ट्रंप ने पहले से इसकी जानकारी होने की बात स्वीकार की है।
भारत की स्थिति
भारत ने इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखने की बात कही है और मध्य पूर्व में शांति बनाए रखने की वकालत की है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपनी कूटनीतिक संतुलन नीति के तहत इजरायल के साथ मजबूत रक्षा और तकनीकी संबंधों को बनाए रखते हुए ईरान के साथ भी संबंधों को प्राथमिकता देना चाहता है।
यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत की कूटनीतिक भूमिका को और महत्वपूर्ण बनाता जा रहा है। आने वाले दिनों में इस स्थिति पर वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रियाएं और कदम तय करेंगे कि क्षेत्र में शांति बहाल हो पाती है या तनाव और गहराता है।