नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर भारत की नीतियों और दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प “सभी के लिए एआई” है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है कि भारत में एआई के विकास के लिए आवश्यक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) सबसे कम कीमत पर उपलब्ध कराए जाएं, ताकि नवाचार और नए विचारों को प्रोत्साहित किया जा सके।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत वैश्विक एआई पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए विभिन्न पहलें चला रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कदम देश की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं और डिजिटल समावेशन के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए है।
पिछले वर्षों में, भारत ने एआई के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंडियाएआई मिशन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। इन पहलों के तहत, सरकार ने एआई तकनीकों को democratize करने, डेटा की गुणवत्ता में सुधार करने और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया है।
जितिन प्रसाद ने आगे कहा कि भारत का लक्ष्य एआई को समाजिक प्रगति का एक स्तंभ बनाना है, और इसके लिए 1.2 बिलियन डॉलर का आवंटन किया गया है। इस मिशन के तहत, 18,000 से अधिक जीपीयू की स्थापना की गई है, जो सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से देश की बढ़ती एआई स्टार्टअप और अनुसंधान समुदाय को समर्थन प्रदान करेगी।
यह पहल न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देगी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी। भारत का उद्देश्य वैश्विक एआई गवर्नेंस में एक नेता के रूप में उभरना है, और इस दिशा में किए गए प्रयासों से देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी।
इस घोषणा से यह स्पष्ट होता है कि भारत एआई के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और सरकार का ध्यान इस तकनीक को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाने पर है।