नई दिल्ली/लाहौर: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर दोनों देशों की सीमाओं को जंग के मैदान में तब्दील कर दिया है। भारत की ओर से शुरू किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर पर डर का माहौल है। स्थानीय लोगों ने भारतीय जवाबी कार्रवाई के डर से इलाका खाली कर दिया है, जिसमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।
भारत ने यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फोर्स (TRF) ने ली थी, जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े होने का दावा भारत ने किया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हमारा उद्देश्य तनाव बढ़ाना नहीं है, लेकिन पहलगाम हमले का जवाब देना जरूरी था। अब डी-एस्केलेशन का फैसला पाकिस्तान को करना है।”
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और भारत की रणनीति
पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के लाहौर में हवाई रक्षा रडार और सिस्टम को निशाना बनाया गया। जवाब में, पाकिस्तान ने 8 मई को जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों पर आठ मिसाइलें दागीं, जिन्हें भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने हवा में ही नष्ट कर दिया। इसके अलावा, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में मॉर्टार शेल दागे, जिससे वहां के नागरिकों में दहशत फैल गई।
भारत ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान के 29 ड्रोनों को मार गिराया, जो भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय सेना ने कहा, “हमने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश को नाकाम कर दिया। हमारी कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ है, न कि आम नागरिकों के खिलाफ।”
पाकिस्तान के वाघा शहर में स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। ग्रामीणों ने बताया कि भारतीय कार्रवाई के डर से उन्हें अपना सामान तक ले जाने का वक्त नहीं मिला। एक स्थानीय ने कहा, “हम अपने जानवरों को साथ नहीं ले जा सके। गेहूं की कटाई का मौसम चल रहा है, लेकिन 30-40% फसल अभी भी खेतों में है। हमें मजबूरी में अपने परिवारों को सुरक्षित जगहों पर भेजना पड़ा।”
पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर को अपने उन नागरिकों के लिए खुला रखने का फैसला किया है जो भारत में फंसे हुए हैं। यह फैसला भारत द्वारा पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने और उन्हें देश छोड़ने के नोटिस के बाद लिया गया। हालांकि, दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों के लिए बॉर्डर क्रॉसिंग को पूरी तरह बंद कर दिया है।
सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले में 8 मई की रात 9 बजे से 8 घंटे का ब्लैकआउट लागू किया गया, जो सुरक्षा कारणों से किया गया। दूसरी ओर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि लाहौर में किसी भी सैन्य ठिकाने या हवाई रक्षा प्रणाली को नुकसान नहीं पहुंचा है। लेकिन भारत ने कहा कि उसने कई जगहों पर पाकिस्तान के रडार सिस्टम को क्षतिग्रस्त किया है।
यूरोपीय संघ (EU) ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए तनाव कम करने की अपील की है। पाकिस्तान, जो वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अस्थायी सदस्य है, ने पहलगाम हमले में TRF की भूमिका का उल्लेख करने का विरोध किया, जबकि भारत ने इसे पाकिस्तान की आतंकवाद को समर्थन देने की नीति का सबूत बताया।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग इस संघर्ष की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं। दोनों तरफ के नागरिक डर के साये में जी रहे हैं। एक ग्रामीण ने कहा, “हम नहीं चाहते कि जंग हो, लेकिन हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा, ऑपरेशनल तैयारियों और नागरिकों की सुरक्षा पर जोर दिया। दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के आसार फिलहाल नजर नहीं आ रहे हैं, और सीमा पर स्थिति हर पल बदल रही है।