छपरा, बिहार – भोजपुरी लोकनाट्य के पितामह, समाज सुधारक और सांस्कृतिक क्रांति के प्रणेता भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने केंद्र सरकार से अपील की है कि भिखारी ठाकुर की पुण्यतिथि पर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाए। उन्होंने सांसद राजीव प्रताप रूडी द्वारा पद्म भूषण की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि भिखारी ठाकुर का योगदान किसी एक पुरस्कार से बड़ा है।
“पद्म भूषण नहीं, भारत रत्न चाहिए”
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि भिखारी ठाकुर ने न सिर्फ भोजपुरी रंगमंच को जन्म दिया, बल्कि उसे सामाजिक जागृति का हथियार बनाया। उन्होंने कहा कि सांसद रूडी ने पद्म भूषण की मांग की है, लेकिन यह भिखारी ठाकुर के महत्व को कम करना है। वे सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि लोक मसीहा, गांधीवादी विचारक और सांस्कृतिक योद्धा थे। उन्होंने बाल विवाह, नारी उत्पीड़न और प्रवासी पीड़ा जैसे मुद्दों को नाटकों के जरिए उठाया। क्या यह भारत रत्न के योग्य नहीं?
क्यों खास है भिखारी ठाकुर का योगदान?
- बिदेसिया: प्रवासी मजदूरों की पीड़ा को दर्शाती यह रचना आज भी प्रासंगिक है।
- बेटी-बेचवा: बाल विवाह पर करारा व्यंग्य, जिसने समाज को झकझोरा।
- गबरघिचोर: स्त्री अस्मिता और स्वतंत्रता का मंचन, जो उस दौर में क्रांतिकारी था।
सरकारी उपेक्षा का आरोप
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि बिहार और केंद्र सरकार ने भिखारी ठाकुर के योगदान को नजरअंदाज किया है। आज उनकी पुण्यतिथि पर भी बिहार सरकार ने कोई आयोजन नहीं किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस व्यक्ति ने भोजपुरी को गौरव दिलाया, उसे आज भी उचित सम्मान नहीं मिला।
आपको बता दें कि भिखारी ठाकुर को “भोजपुरी का शेक्सपियर” कहा जाता है। उन्होंने लोकगीत, नाटक और नृत्य के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। आज भी उनकी रचनाएं प्रवासी भारतीयों के बीच लोकप्रिय हैं।
सारण विकास मंच की मांग स्पष्ट है कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाए। शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि करोड़ों भोजपुरीभाषियों की भावनाओं का सम्मान होगा।