भावनगर: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में गुजरात के भावनगर निवासी यतीश परमार और उनके बेटे स्मित परमार की भी मौत हो गई। इस हमले में कुल 26 लोगों की जान गई, जिसमें दो विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। यतीश और स्मित 19 लोगों के एक समूह के साथ भावनगर से 16 अप्रैल को पहलगाम के लिए रवाना हुए थे। यह समूह प्रसिद्ध संत मोरारी बापू के प्रवचन में शामिल होने के बाद स्थानीय दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए निकला था।
परिजन प्रशांत नैथानी ने बताया, “वे होटल से लोकल साइट देखने के लिए निकले ही थे कि आतंकवादियों ने हमला कर दिया। हमें मंगलवार शाम को इस दुखद घटना की खबर मिली।” यह हमला पहलगाम के ऊपरी इलाके बैसारन वैली में हुआ, जो एक लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल है। आतंकियों ने जानबूझकर एक ऐसे क्षेत्र को निशाना बनाया जहां वाहन नहीं जा सकते, ताकि बचाव कार्य में देरी हो। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में आतंकी रणनीति में एक खतरनाक बदलाव को दर्शाता है। गुजरात सरकार ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ समन्वय कर शवों को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशांत नैथानी ने बताया कि शव बुधवार देर रात तक भावनगर पहुंचने की संभावना है, और अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह भावनगर में ही किया जाएगा। इस हमले की निंदा करते हुए श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक विरोध रैली निकाली।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बुधवार को अनंतनाग के एक अस्पताल में पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना और घटनास्थल का दौरा किया। यह घटना एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों की ओर ध्यान खींचती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए नई रणनीतियों का सहारा ले रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। परिवार और समुदाय इस अपूरणीय क्षति से सदमे में हैं। यतीश और स्मित की स्मृति में भावनगर में प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। इस दुखद घटना ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता पर बल दिया है।