गौनाहा, पश्चिम चंपारण। महात्मा गांधी की 156वीं जयंती (Bhitiharwa Gandhi Jayanti) के अवसर पर भितिहरवा जीवन कौशल ट्रस्ट परिसर में विशेष आयोजन हुआ। यह वही ऐतिहासिक स्थल है जहां से बापू ने सत्याग्रह और जनजागरण का संदेश दिया था। कार्यक्रम में स्थानीय समाजसेवियों, शिक्षकों और छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई, वहीं वर्चुअल माध्यम से कई गणमान्य लोग जुड़े। इस आयोजन को महज एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता और सामाजिक चेतना से जोड़कर देखा जा रहा है।
कार्यक्रम का शुभारंभ महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी के तैलचित्र पर माल्यार्पण से हुआ। कस्तूरबा कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने गांधीजी का प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम’ प्रस्तुत किया और चरखे से सूत कताई कर बापू की स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की भावना को जीवंत कर दिया।
युवा गांधीवादी और समाजसेवी दीपेंद्र बाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा कि आज के दौर में जब समाज असहिष्णुता और भौतिकतावाद की ओर बढ़ रहा है, तब गांधीजी की विचारधारा हमें संयम और सहनशीलता का मार्ग दिखाती है। वहीं ट्रस्ट अध्यक्ष शैलेंद्र प्रताप सिंह ने वर्चुअल माध्यम से कहा कि गांधी जैसा जनजागरण करने वाला विश्व में दूसरा नहीं हुआ। बापू के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आज़ादी की लड़ाई के समय थे।
सचिव डॉ. ज्ञान देवमणि त्रिपाठी ने कहा कि गांधी जयंती केवल स्मरण भर नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का अवसर है। उन्होंने आग्रह किया कि हर नागरिक सत्य और अहिंसा को अपने जीवन में आत्मसात करे। कोषाध्यक्ष राकेश राव ने गांधीजी के नेतृत्व और अहिंसा के सिद्धांत को वैश्विक प्रेरणा बताते हुए कहा कि उनके विचारों ने पूरी दुनिया में नवजागरण का कार्य किया।
कार्यक्रम का सबसे विशेष क्षण तब आया जब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश वर्चुअल माध्यम से सीधे साउथ अफ्रीका से जुड़े। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव का विषय है कि गांधी जयंती पर वे उसी धरती से लोगों को संबोधित कर रहे हैं, जहां बापू ने 21 साल तक संघर्ष और प्रयोग किए। उन्होंने बताया कि यहां हर शहर में गांधी की स्मृतियां और नेतृत्व की छाप आज भी महसूस की जा सकती है।
इस अवसर पर कस्तूरबा गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्राचार्य सुदिष्ट कुमार, शिक्षक गोलू कुमार, चंद्रकिशोर महतो, दयाशंकर पटवारी समेत दो दर्जन से अधिक छात्राएं मौजूद रहीं। आयोजन को लेकर स्थानीय स्तर पर उत्साह देखा गया और लोगों ने इसे गांधी विचारों को आत्मसात करने का संकल्प दिवस माना।
















