Patna Highcourt Verdict: भोजपुर जिले के चर्चित बड़गांव कांड में भाकपा-माले के पूर्व विधायक मनोज मंजिल समेत अन्य 22 दोषियों को पटना हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। मंगलवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने आरा जिला अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए सभी आरोपियों की अपील को खारिज कर दिया। यह फैसला जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने सुनाया। अदालत ने अपने 72 पन्नों के विस्तृत निर्णय में सभी दोषियों को एक सप्ताह के भीतर आरा कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।
भाकपा-माले ने इस निर्णय को “राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का ऐलान किया है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि मनोज मंजिल और उनके साथियों को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है और यह फैसला न्यायिक असमानता का प्रतीक है।
क्या है मामला
मामले की जड़ वर्ष 2015 में अजीमाबाद थाना क्षेत्र से जुड़ी है। शिकायतकर्ता चंदन सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके पिता जेपी सिंह, जो अगड़ी जाति से थे, भाकपा-माले की एक आमसभा से लौटते वक्त हमला का शिकार हो गए। आरोप है कि मनोज मंजिल और उनके साथियों ने रास्ते में उन्हें रोककर लाठी, डंडे, ईंट और पत्थर से बेरहमी से पीटा, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने बाद में शव बरामद किया और कांड संख्या 51/2015 के तहत मामला दर्ज किया गया।
आरा सिविल कोर्ट के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 13 फरवरी 2024 को इस मामले में सभी 23 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था और उम्रकैद की सजा के साथ 10-10 हजार रुपये जुर्माने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ अभियुक्तों ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दाखिल की थी, लेकिन अब न्यायालय ने यह साफ कर दिया है कि निचली अदालत का निर्णय तथ्यात्मक और कानूनी रूप से सही है।






















