बिहार कांग्रेस में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर उनकी जगह राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। इस आशय की आधिकारिक घोषणा पार्टी द्वारा जारी पत्र में की गई है।
इस फेरबदल ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस के इस कदम को पार्टी के आगामी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। अखिलेश प्रसाद सिंह को अचानक हटाने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। क्या यह नेतृत्व परिवर्तन कांग्रेस की बिहार में नई रणनीति का हिस्सा है या फिर आंतरिक कलह का परिणाम? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
राजेश कुमार बिहार के औरंगाबाद जिले के कुटुंबा विधानसभा से विधायक हैं। 1969 में जन्मे राजेश कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल कर विधायक बने। कुटुंबा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है, और इस क्षेत्र में राजेश कुमार की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
बिहार कांग्रेस के लिए नया युग?
राजेश कुमार की नियुक्ति को कांग्रेस के दलित राजनीति को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से नेतृत्व परिवर्तन किया है, वह स्पष्ट करता है कि पार्टी अब राज्य में नए नेतृत्व के साथ नई ऊर्जा भरना चाहती है।
हालांकि, अखिलेश प्रसाद सिंह की विदाई के पीछे क्या कारण हैं, इस पर पार्टी की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस राज्य में अपने संगठन को पुनः सशक्त बनाने की कवायद में जुटी है और यह बदलाव उसी योजना का हिस्सा है।