श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत तीन और संगठनों—जम्मू कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी, जम्मू और कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग, और कश्मीर फ्रीडम फ्रंट ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत से खुद को अलग कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कदम को घाटी में भारत के संविधान के प्रति लोगों के बढ़ते भरोसे का एक उदाहरण बताया है।
अमित शाह ने मंगलवार सुबह एक ट्वीट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के एकजुट और शक्तिशाली भारत के विजन को आज और बल मिला है। अब तक 11 संगठनों ने अलगाववाद को त्यागकर भारत के संविधान के प्रति अपनी अटूट समर्थन की घोषणा की है।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में कई संगठनों ने हुर्रियत से दूरी बनाई है, जो 1993 में गठित होने के बाद से कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहा है।
हुर्रियत का घटता प्रभाव:
2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की गतिविधियां लगभग ठप हो गई हैं। हाल के महीनों में कई नेताओं और संगठनों ने हुर्रियत से नाता तोड़कर भारत के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा जताई है। कश्मीर फ्रीडम फ्रंट के प्रमुख बशीर अहमद अंद्राबी और मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग के चेयरमैन राशिद ने अलग-अलग बयानों में कहा, “हम भारत के संविधान के प्रति वफादार हैं और किसी भी अलगाववादी एजेंडे से हमारा कोई संबंध नहीं है।”
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हुर्रियत और अन्य अलगाववादी संगठनों ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफलता दिखाई है, जिसके चलते उनका प्रभाव तेजी से कम हुआ है।