बिहार-झारखंड के बहुचर्चित अलकतरा घोटाले में आखिरकार रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तकरीबन तीन दशक बाद बड़ा फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन समेत पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा और 15-15 लाख रुपए जुर्माने की सजा दी है, जबकि साक्ष्यों के अभाव में सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
क्या था अलकतरा घोटाला?
यह मामला 1995 का है, जब संयुक्त बिहार में हजारीबाग में सड़क निर्माण के लिए हल्दिया ऑयल रिफाइनरी, कोलकाता से अलकतरा (कोलतार) मंगाया जाना था। लेकिन तत्कालीन मंत्री और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी कागजात बनवाकर सरकार को 27.70 लाख रुपए का चूना लगाया गया। ‘पवन करियर’ नामक कंपनी से अलकतरा सप्लाई के नाम पर यह पूरा खेल रचा गया।
मामला उजागर होने के बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। अब, लगभग तीन दशक बाद न्यायालय ने दोषियों को उनकी करनी की सजा सुना दी है।
स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मंत्री इलियास हुसैन, उनके पीए शहाबुद्दीन, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।
वहीं, साक्ष्यों की कमी के चलते सात आरोपी – जी रामनाथ, एसपी माथुर, तरुण गांगुली, रंजन प्रधान, सुबह सिन्हा और एमसी अग्रवाल को बरी कर दिया गया।
इस घोटाले की खास बात यह रही कि तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में यह भ्रष्टाचार हुआ। दोषी करार दिए गए इलियास हुसैन को लालू का बेहद करीबी माना जाता था। ऐसे में, इस फैसले के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर से ‘लालू राज’ में हुए घोटालों का जिन्न बाहर आ सकता है।