बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म होने लगी है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के सभी घटक दलों की पहली औपचारिक बैठक आज पटना में होने जा रही है। इस बैठक को न केवल रणनीतिक लिहाज से अहम माना जा रहा है, बल्कि यह महागठबंधन के नेतृत्व और भविष्य की दिशा को तय करने वाली निर्णायक बैठक बन सकती है।
राजद कार्यालय में होने वाली इस बैठक में छह दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे और चर्चा का मुख्य केंद्र तेजस्वी यादव का नेतृत्व होगा। राजद पहले ही तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस अभी भी इस पर औपचारिक मुहर लगाने से कतरा रही है।
बैठक की अहमियत क्या है?
यह बैठक केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि एक राजनीतिक शक्ति परीक्षण भी है। महागठबंधन में शामिल दल इस बात को समझते हैं कि आगामी चुनाव में एनडीए को टक्कर देने के लिए एकजुट नेतृत्व और स्पष्ट रणनीति जरूरी है। यही वजह है कि इस बैठक में तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर अंतिम सहमति बनने की संभावना जताई जा रही है।
कौन होंगे शामिल?
- राजद की ओर से खुद तेजस्वी यादव, प्रो. मनोज झा और संजय यादव बैठक में शामिल होंगे।
- कांग्रेस से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का शिरकत करना तय है।
- वाम दलों में भाकपा-माले, भाकपा और माकपा के शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे।
- वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और उनके प्रवक्ता देवज्योति भी बैठक में हिस्सा होंगे।
किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
- एनडीए को हराने के लिए साझा अभियान की रूपरेखा
- वक्फ कानून, 65% आरक्षण और सामाजिक न्याय को चुनावी एजेंडा बनाने की योजना
- महागठबंधन के संयुक्त प्रचार कार्यक्रम और क्षेत्रीय यात्राओं पर चर्चा
- और सबसे अहम, तेजस्वी यादव को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने की दिशा में अंतिम निर्णय।
रालोजपा बाहर, गठबंधन में उलझन?
इस बैठक में पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा को आमंत्रित नहीं किया गया है। पार्टी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि वे एनडीए से तो अलग हो चुके हैं, लेकिन अभी महागठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। इसका मतलब है कि अभी गठबंधन में और भी जोड़-तोड़ की गुंजाइश बनी हुई है।
क्या तेजस्वी बनेंगे ‘महागठबंधन का चेहरा’?
आज की बैठक इस सवाल का जवाब देने वाली है। अगर कांग्रेस समेत सभी घटक दल तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सहमति जता देते हैं, तो यह न केवल तेजस्वी के लिए सियासी मान्यता होगी, बल्कि चुनावी प्रचार में स्पष्टता भी लाएगा।
अब देखना है कि क्या महागठबंधन आज एकजुटता की नई तस्वीर पेश कर पाएगा या फिर सीट शेयरिंग और नेतृत्व को लेकर अंतर्विरोध और गहरा होगा? बिहार की राजनीति की यह बैठक आने वाले चुनाव का ट्रेलर बन सकती है।






















