बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार की नीतियों के खिलाफ जबरदस्त विरोध देखने को मिला है। राज्य के 51 नगर निकायों के उप मुख्य पार्षदों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सामूहिक रूप से इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने राज्य के नगर विकास एवं आवास मंत्री जीवेश कुमार से मुलाकात कर अपना विरोध दर्ज कराया।
इन उप मुख्य पार्षदों का कहना है कि बिहार सरकार की नीतियों ने उन्हें अधिकारविहीन बना दिया है। जनता द्वारा निर्वाचित होने के बावजूद वे जनहित में कोई काम करने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।
इस्तीफा देने वाले मोकामा के कन्हैया कुमार ने मीडिया को बताया कि “बिहार में कुल 261 नगर निकाय हैं। 2022 के नगर निकाय चुनावों में पहली बार मेयर और डिप्टी मेयर का सीधा चुनाव हुआ था। लेकिन नई नगर निकाय नीति के तहत, सारी शक्तियां सिर्फ मुख्य पार्षदों (मेयर) तक सीमित कर दी गई हैं। उप मुख्य पार्षदों के पास कोई अधिकार नहीं है, जिससे हमारा पद सिर्फ नाममात्र का बन गया है।”
इस्तीफा देने वाले पार्षदों का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकार से नियमों में बदलाव की अपील की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
- मुख्य पार्षदों की मनमानी से जनता परेशान है।
- सरकार से अपील के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला।
- निर्वाचित पद होते हुए भी वे जनता के लिए कुछ करने में असमर्थ हैं।
इस्तीफा देने वाले एक पार्षद ने कहा कि अगर हमें कोई अधिकार ही नहीं मिलते, तो हम जनता को जवाब कैसे दें? क्या हम सिर्फ दिखावटी नेता हैं?