बिहार विधान परिषद में सोमवार को उस वक्त हंगामे का माहौल बन गया, जब नीतीश सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने मैटरनिटी लीव की गंभीर मांग को हल्के में लेते हुए “मेंटालिटी लीव” का जिक्र कर दिया। यह अनोखा जवाब सुनते ही सदन में हंसी और गुस्से का मिश्रित शोर गूंज उठा। विपक्ष ने इसे सरकार की लापरवाही और असंवेदनशीलता का प्रतीक बताते हुए जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। मामला जीविका महिला कर्मियों के मातृत्व अवकाश से जुड़ा था, लेकिन सरकार के जवाब ने इसे एक नाटकीय मोड़ दे दिया। क्या है पूरा माजरा? आइए, इस घटना की परतें खोलते हैं।
बिहार विधान परिषद में विपक्ष के एमएलसी अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सरकार से एक ज्वलंत सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जीविका परियोजना में 15,000 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। ये महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मातृत्व अवकाश के अभाव में नौकरी से हाथ धो बैठती हैं। सिद्दीकी ने सरकार से मांग की कि इन महिलाओं को मैटरनिटी लीव और स्पेशल लीव का अधिकार दिया जाए। यह सवाल न सिर्फ महिला कर्मियों के हक की बात करता था, बल्कि सरकार की नीतियों पर भी सवालिया निशान लगाता था। लेकिन जवाब देने आए पंचायती राज मंत्री श्रवण कुमार ने जो कहा, उसने सबको हैरान कर दिया।
मंत्री ने कहा, “राज्य में 13 लाख जीविका कर्मी हैं, जिनमें 98,586 महिलाएं हैं। ये पार्ट-टाइम काम करती हैं और घर के साथ-साथ जीविका का काम संभालती हैं। इनके लिए फैसले निचले स्तर पर लिए जाते हैं।” इस बीच, उनकी जुबान से “मैटरनिटी लीव” की जगह “मेंटालिटी लीव” निकल गया। यह सुनते ही विपक्ष के कान खड़े हो गए। क्या यह महज जुबान की फिसलन थी या सरकार की सोच का खुलासा? सवाल अनुत्तरित रह गया, लेकिन सदन में हंगामा शुरू हो गया।
विपक्षी एमएलसी शशि यादव ने तुरंत पलटवार किया। उन्होंने कहा, “जीविका की महिलाएं आठ घंटे काम करती हैं, फिर भी सरकार इन्हें पार्ट-टाइम कर्मी कह रही है। यह जवाब गोलमोल है और सदन को भटकाने की कोशिश है।” शशि यादव के तीखे सवालों ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। मंत्री श्रवण कुमार ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन उनके जवाब में ठोस नीति या आश्वासन की कमी साफ झलक रही थी। विपक्ष ने इसे मौके की तरह भुनाया और नारेबाजी शुरू कर दी।
इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी मैदान में कूद पड़ीं। उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “यह सरकार महिलाओं के हक की बात करने में नाकाम है। जीविका कर्मियों को मातृत्व अवकाश देना उनका अधिकार है, लेकिन जवाब में अस्पष्टता क्यों?” राबड़ी के इस बयान ने हंगामे को और हवा दी। सदन में शोर-शराबे के बीच विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए, जबकि सत्ता पक्ष बचाव की मुद्रा में नजर आया।