बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Criminal MLAs) के नतीजे सामने आते ही एक बार फिर राज्य की राजनीति में अपराध और सत्ता की नजदीकी पर बहस तेज़ हो गई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और इलेक्शन वॉच की विस्तृत रिपोर्ट बताती है कि नई 18वीं विधानसभा में चुने गए 243 विधायकों में से 130 यानी 53 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन विधायकों में 102 नेता ऐसे हैं जिन पर हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के खिलाफ अपराध और अपहरण जैसे गंभीर आरोप वाले मुकदमे चल रहे हैं। संख्या भले कम हुई हो, पर गंभीर अपराधों का प्रतिशत अब भी बेहद ऊंचा है।
पिछली विधानसभा की तुलना करें तो तब 68 प्रतिशत विधायक आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे, जिनमें 51 प्रतिशत पर गंभीर अपराधों के केस दर्ज थे। नई विधानसभा में यह आंकड़ा थोड़ा कम हुआ है, लेकिन यह कम होना किसी सुधार का संकेत कम और राजनीतिक समीकरणों का परिणाम ज्यादा प्रतीत होता है। जनता अब भी उन प्रतिनिधियों को चुन रही है जिनकी छवि आपराधिक मामलों से जुड़ी रही है, या चुनावी मैदान में ऐसे विकल्प कम और सीमित हैं।
विशेष रूप से गंभीर आरोपों की श्रेणी में सबसे अधिक संख्या उस आरजेडी की है, जिसके 25 में से 14 विधायक गंभीर अपराधों के केस झेल रहे हैं। बीजेपी के 89 में से 43 विधायक गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी हैं। जेडीयू के 85 विधायकों में से 23 पर गंभीर आरोप दर्ज हैं, जबकि लोजपा (राम विलास) के 19 विधायकों में से 10 इसी श्रेणी में आते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोई भी दल इस प्रवृत्ति से अछूता नहीं है, और राजनीतिक दल अपराध पृष्ठभूमि वालों को टिकट देने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
हत्या से जुड़े मुकदमों को देखें तो बीजेपी और जेडीयू के तीन-तीन विधायक इस श्रेणी में हैं। हत्या के प्रयास यानी अटेम्प्ट टू मर्डर के मामलों में दोनों ही दलों के सात-सात विधायक आरोपी हैं। एलजेपी और आरजेडी के दो-दो विधायक इस श्रेणी में आते हैं, वहीं वामपंथी दल का एक विधायक भी गंभीर हत्या प्रयास के मामले का सामना कर रहा है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में भी परिदृश्य कम गंभीर नहीं है। बीजेपी और आरजेडी के तीन-तीन तथा जेडीयू के दो विधायकों पर ऐसे अपराधों के केस दर्ज हैं।
एमआईएम के पांच में से चार विधायक, कांग्रेस के छह में से तीन और सीपीआई(एमएल), सीपीएम, आईआईपी और बीएसपी के एक-एक विधायक गंभीर आपराधिक मामलों के आरोपी हैं। इन आंकड़ों से साफ संकेत मिलता है कि बिहार की राजनीति में अपराध पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की मौजूदगी एक संरचनात्मक समस्या बन चुकी है। यह केवल किसी एक दल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रवृत्ति लगभग हर राजनीतिक खेमे में गहराई तक मौजूद है।
















