बिहार की राजनीति दिन-ब-दिन गरमाती जा रही है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, सभी दल अपनी रणनीति को धार देने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। चुनावी रणनीति पर मंथन करने के लिए 12 मार्च को दिल्ली में एक अहम बैठक होने जा रही है, जहां पार्टी के दिग्गज नेता चुनावी रोडमैप तैयार करेंगे।
यह भी पढ़ें : बिहार विधान परिषद में अश्लील गानों पर रोक लगाने का श्रेय लेने की होड़!
दिल्ली में जुटेंगे कांग्रेस के नेता, बनेगी ‘बिहार प्लान’ की रणनीति
कांग्रेस की यह महत्वपूर्ण बैठक नए पार्टी मुख्यालय इंदिरा भवन में होगी। बैठक में राहुल गांधी, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ करीब 35 वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इस बैठक में पार्टी चुनाव प्रचार, संगठन की मजबूती और संभावित गठबंधन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी।
क्या महागठबंधन रहेगा कायम या नए समीकरण होंगे तैयार?
बैठक का सबसे बड़ा एजेंडा गठबंधन होगा। बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस का गठबंधन लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर मतभेद देखने को मिले थे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस राजद के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी या कोई नया समीकरण सामने आएगा?
अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने का मन बनाती है, तो यह उसके लिए बड़ा जोखिम होगा। लेकिन अगर वह राजद, वाम दलों और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन बनाए रखती है, तो उसे एक मजबूत विपक्षी चेहरा मिल सकता है।
बिहार में कांग्रेस की चुनौती
- गठबंधन की असमंजसता: कांग्रेस अब तक राजद के साथ रही है, लेकिन क्या यह रिश्ता आगे भी चलेगा?
- नेतृत्व का सवाल: कांग्रेस बिहार में खुद को किस नेता के चेहरे पर आगे बढ़ाएगी?
- संगठन की स्थिति: पिछले चुनावों में कमजोर प्रदर्शन के बाद क्या कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूत हुई है?
- एनडीए से सीधी टक्कर: बीजेपी और जेडीयू की मजबूत पकड़ को तोड़ने के लिए कांग्रेस के पास क्या रणनीति होगी?
क्या राहुल गांधी की यह बैठक कांग्रेस को नई ताकत दे पाएगी?
दरअसल, बिहार कांग्रेस के लिए यह बैठक ‘करो या मरो’ जैसी स्थिति साबित हो सकती है। अगर कांग्रेस सही रणनीति बनाकर चुनाव में उतरती है, तो वह अपने प्रदर्शन को सुधार सकती है। लेकिन अगर गठबंधन और नेतृत्व को लेकर असमंजस बना रहा, तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
अब नज़रें 12 मार्च पर!
12 मार्च की बैठक के बाद कांग्रेस का चुनावी भविष्य और गठबंधन को लेकर स्थिति और साफ हो जाएगी। बिहार की जनता और राजनीतिक विश्लेषक अब इस बैठक से निकलने वाले फैसलों और रणनीतियों पर टकटकी लगाए हुए हैं। क्या कांग्रेस इस बार बिहार में अपनी खोई जमीन वापस पा सकेगी या फिर वह चुनावी दौड़ में पिछड़ जाएगी? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।