बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र NDA ने अपनी रणनीति को नए सिरे से धार देना शुरू कर दिया है। लगातार दो चुनावों से हार का सामना कर रही सीटों पर अब पार्टियां अदला-बदली करने की योजना बना रही हैं। यानी इस बार हार की सीटों को लेकर गठबंधन के भीतर सीटों का पुनर्वितरण देखने को मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (BJP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के बीच गहन विचार-विमर्श हो रहा है। मुख्य जोर इस बात पर रहेगा कि किस दल के प्रत्याशी की किस विधानसभा क्षेत्र में जीतने की संभावना अधिक है।
हार की सीटें बदलेंगी, जीत बढ़ाने का लक्ष्य
NDA का लक्ष्य इस बार अधिक से अधिक सीटें जीतना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन सीटों पर कोई दल लगातार पिछड़ रहा है, वहां नया प्रयोग होगा। यदि किसी सहयोगी दल की पकड़ किसी सीट पर मजबूत है तो उसे मौका दिया जाएगा, भले ही पहले वह सीट किसी अन्य दल के खाते में रही हो।
जीत की संभावना होगी प्राथमिकता
सीटों के आवंटन में अब पारंपरिक दावेदारी से ज्यादा जीत की संभावना पर फोकस होगा। मसलन, अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में BJP दो बार हार चुकी है और जेडीयू या अन्य दल के पास बेहतर आधार है, तो सीट उसी पार्टी को सौंपी जाएगी।
वहीं, 2020 में लोजपा (रामविलास) के अलग चुनाव लड़ने से कई सीटों पर नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार सभी घटक दल समन्वय के साथ मैदान में उतर रहे हैं। अब एनडीए का हर जिला और हर क्षेत्र में एक संगठित चेहरा होगा।
सीटों के बंटवारे में सामाजिक समीकरणों को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। हर क्षेत्र में जातीय संतुलन को बनाए रखने के साथ ही उम्मीदवारों का स्थानीय जनाधार भी परखा जाएगा, ताकि कोई भी सीट केवल प्रयोगशाला न बन जाए, बल्कि जीतने के पूरे आसार हों।
2020 के चुनाव परिणामों से मिले संकेत
2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी ने 71, जेडीयू ने 43, हम ने 4 और वीआईपी ने 4 सीटें जीती थीं। इस बार नई परिस्थितियों में पुराने अनुभवों को ध्यान में रखकर सीटों का वितरण किया जाएगा।