बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बाहरी बनाम बिहारी की बहस ने सियासत का पारा चढ़ा दिया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया के पटना में मतदाता बनने पर सवाल खड़ा किया था, लेकिन इस ‘नहले’ का ‘दहला’ भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने दिया। उन्होंने तेजस्वी के करीबी और राज्यसभा सांसद संजय यादव पर ही पलटवार करते हुए पूरे मुद्दे का रुख बदलने की कोशिश की।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि गुजरात से आने वाले भाजपा नेता भीखूभाई दलसानिया को पटना में मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया है, जो चुनावी नैतिकता पर सवाल उठाता है। इस पर संजय जायसवाल ने बेतिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि भीखूभाई पिछले तीन साल से बिहार में सक्रिय हैं और 9 सितंबर 2022 से बिहार के प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पुराने स्थान की मतदाता सूची से नाम हटवाकर नियम अनुसार पटना में नाम जुड़वाया है, जो पूरी तरह कानूनी है। जायसवाल ने कहा कि जो व्यक्ति एक साल से किसी राज्य में रह रहा हो, उसे वहां मतदाता बनने का अधिकार है।
जवाबी हमले में संजय जायसवाल ने तेजस्वी यादव से पूछा कि अगर बाहर के व्यक्ति का बिहार में मतदाता बनना गलत है, तो उन्होंने हरियाणा के निवासी संजय यादव को राज्यसभा भेजने का निर्णय क्यों लिया। उन्होंने तीखा तंज कसते हुए कहा कि क्या राजद में बिहार के भीतर कोई ऐसा योग्य नेता नहीं था जो राज्यसभा का सदस्य बन सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री रहते हुए तेजस्वी यादव, संजय यादव को सरकारी बैठकों में शामिल करते थे, जो राजनीतिक परंपरा के खिलाफ है।
संजय जायसवाल ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया में मामूली कमियों और टाइपो को मुद्दा बनाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, जबकि यही प्रक्रिया इन त्रुटियों को दूर करने के लिए लागू की गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर तेजस्वी को कोई समस्या है, तो उन्हें इस प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए, न कि अनर्गल आरोप लगाकर राजनीतिक माहौल को बिगाड़ना चाहिए।






















