बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की अहमियत किसी से छिपी नहीं है। खासकर निषाद या मल्लाह समाज के करीब 8-9 फीसदी वोटरों को साधने की दौड़ में अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कमर कस ली है। “सन ऑफ मल्लाह” के नाम से चर्चित मुकेश सहनी की पकड़ इस समाज पर मानी जाती रही है, लेकिन अब भाजपा ने हर प्रमंडल स्तर पर मछुआरा सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लेकर राजनीतिक संकेत साफ कर दिए हैं। इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के बैनर तले नहीं, बल्कि भाजपा अपने संगठन स्तर पर खुद कर रही है। इससे यह भी साफ हो गया है कि भाजपा निषाद समाज को साधने के लिए अब किसी और सहयोगी दल पर निर्भर नहीं रहना चाहती।
भाजपा की रणनीति: हर प्रमंडल में सम्मेलन, 15 दिनों में आयोग गठन का वादा
शुक्रवार को पटना स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई भाजपा मत्स्यजीवी प्रकोष्ठ की बैठक में तय किया गया कि जून-जुलाई में पूरे बिहार के सात प्रमंडलों में मछुआरा सम्मेलन किए जाएंगे। इसके साथ ही भाजपा ने ऐलान किया कि 15 दिनों के अंदर मछुआरा आयोग का गठन भी किया जाएगा, जिसमें इसी समाज से चेयरमैन और सदस्य बनाए जाएंगे।
सम्मेलनों की संभावित तारीखें:
- 10 जून: मुजफ्फरपुर
- 14 जून: कटिहार
- 18 जून: दरभंगा
- 22 जून: मोतिहारी
- 26 जून: समस्तीपुर
- 30 जून: खगड़िया
- 10 जुलाई: पटना (बापू सभागार)
मुकेश सहनी पर राजनीतिक दबाव?
भाजपा की यह कवायद सीधे तौर पर मुकेश सहनी और उनकी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रभाव को कमजोर करने की रणनीति के तौर पर देखी जा रही है। सहनी जहां महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े हैं, वहीं भाजपा अब स्वतंत्र रूप से इस समाज को साधने की कोशिश कर रही है।
हाल ही में सहनी ने लालू प्रसाद यादव की तारीफ करते हुए कहा था, “गरीब और दलित के लिए लालू राज मंगलराज था, जिसे कुछ लोगों ने जानबूझकर जंगलराज कहा।” यह बयान भाजपा को सीधा संदेश था कि सहनी NDA से दूर जा चुके हैं।


















