बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, कांग्रेस ने अपने राजनीतिक समीकरणों को मजबूत करना शुरू कर दिया है। पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम तय करने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने बताया कि ब्लॉक और जिला कमिटियों से 14 सितंबर तक नाम भेजे जाने हैं। इसके बाद 16 सितंबर को बिहार पॉलिटिकल कमिटी की बैठक होगी, जबकि 19 सितंबर को स्क्रीनिंग कमिटी की पहली बैठक आयोजित की जाएगी।

महागठबंधन की मैनिफेस्टो कमिटी ने भी कॉर्डिनेशन कमिटी को प्रस्ताव भेजा है, जिस पर आगे की रणनीति बनेगी। सीट बंटवारे को लेकर कृष्णा अल्लावरू ने साफ किया कि गठबंधन में संतुलन बेहद जरूरी है। जीतने वाली सीटों के साथ-साथ कमजोर सीटों का भी संतुलन साधा जाएगा ताकि नए सहयोगियों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। रालोजपा और झामुमो जैसे दलों के जुड़ने के बाद सीट शेयरिंग की चुनौती और बढ़ गई है।
बैठक में सिर्फ सीटों का समीकरण नहीं बल्कि आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार और महागठबंधन के घोषणापत्र को लेकर भी चर्चा हुई। कांग्रेस ने संकेत दिया है कि जल्द ही जिला और प्रमंडल स्तर पर रैलियों का ऐलान होगा, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी संभव है।
‘वोट चोरी’ बनाम जनता का अधिकार
कांग्रेस ने इस दौरान चुनावी मुद्दों पर भाजपा और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। कृष्णा अल्लावरू ने SIR (Systematic Instrument for Rigging) पर आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की सोची-समझी साजिश रची है। इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव से लेकर मतदाता सूची (Electoral Roll) में हेरफेर और वोटों की गिनती में गड़बड़ी तक, सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया।

कांग्रेस नेता शकील अहमद खान ने कहा कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने जनता को जागरूक किया है। इस यात्रा से निकला नारा “वोट चोर, गद्दी छोड़” अब देशव्यापी आंदोलन का रूप ले चुका है। बिहार की जनता ने भी इस अभियान को भरपूर समर्थन दिया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अब आधार कार्ड को पहचान के दस्तावेज के रूप में मान्यता मिलने से जनता की जीत हुई है। कांग्रेस का दावा है कि यह उनके संघर्ष का नतीजा है।
पप्पू यादव का बयान
इधर, जन अधिकार पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने महागठबंधन के भीतर सीएम चेहरे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला जनता और विधायक ही करेंगे। गठबंधन के नेता मिलकर किसी एक नाम पर सहमति देंगे, यही लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। इस बयान से साफ है कि भले ही तेजस्वी यादव महागठबंधन का प्रमुख चेहरा माने जा रहे हों, लेकिन अंतिम निर्णय पर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं।






















