बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) से पहले ‘महागठबंधन’ के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनातनी तेज हो गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन यानी भाकपा (माले) ने कांग्रेस-राजद गठबंधन के 19 सीटों वाले प्रस्ताव को “अपमानजनक” बताते हुए ठुकरा दिया है। पार्टी अब 30 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है, जिससे महागठबंधन के भीतर असहमति के संकेत साफ दिख रहे हैं।
वाम दलों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भाकपा (माले) को 2020 की तरह इस बार भी 19 सीटों की पेशकश की गई थी, लेकिन पार्टी को यह प्रस्ताव अस्वीकार्य लगा। माले का तर्क है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उसने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 पर शानदार जीत दर्ज की थी। पार्टी ने न केवल अपनी सीटों पर मजबूत प्रदर्शन किया, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी महागठबंधन उम्मीदवारों को निर्णायक समर्थन दिया था।
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माले के नेताओं का कहना है कि उनकी राजनीतिक उपस्थिति और जनाधार को देखते हुए उन्हें अब कम से कम 30 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हमने 40 सीटों का प्रस्ताव दिया था, पर अब हम 30 सीटों पर नई मांग रखने जा रहे हैं। 19 सीटों का प्रस्ताव हमारे योगदान के अनुरूप नहीं है।”
महागठबंधन के भीतर फिलहाल सीटों के बंटवारे पर सस्पेंस बरकरार है। भाकपा (माले) के रुख से यह साफ है कि यदि उसकी शर्तें नहीं मानी गईं, तो वह अलग रास्ता अपनाने से भी नहीं हिचकेगी। पार्टी सूत्रों ने कहा, “हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं।”
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 75 पर जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 पर जीत दर्ज की थी। उस समय माले को वाम खेमे में निर्णायक भूमिका मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में वह 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 12 सीटें जीती थी।






















