बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Chunav 2025) का बिगुल बजने से पहले ही राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के बाद अब चुनावी रणनीतियों को लेकर बयानबाज़ी और सुझावों का दौर शुरू हो गया है। इस अहम बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU), भारतीय जनता पार्टी (BJP) समेत सभी प्रमुख दलों ने आयोग के समक्ष अपनी-अपनी राय रखी।
जेडीयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी की ओर से आयोग को स्पष्ट रूप से यह सुझाव दिया गया है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव एक ही चरण (One Phase) में कराए जाएं। उन्होंने कहा कि बिहार की कानून व्यवस्था मजबूत है, इसलिए अब चुनाव को कई चरणों में फैलाने की कोई ज़रूरत नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि छठ पर्व के दौरान बड़ी संख्या में बिहार से बाहर काम करने वाले लोग अपने घर लौटते हैं, इसलिए उन्हें वोट देने का मौका देने के लिए चुनाव छठ के तुरंत बाद कराए जाने चाहिए।

इसी कड़ी में जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वहां एक फेज़ में चुनाव हो सकते हैं, तो बिहार में क्यों नहीं? उन्होंने दावा किया कि आज बिहार की स्थिति पहले से कहीं अधिक स्थिर है और प्रशासनिक स्तर पर चुनाव को एक चरण में शांतिपूर्ण ढंग से कराने की पूरी क्षमता है।
दूसरी ओर बीजेपी ने भी आयोग के समक्ष कई अहम मुद्दे उठाए। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि पार्टी चाहती है कि चुनाव एक या दो चरण में ही संपन्न हो। उन्होंने विशेष तौर पर दियारा क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की, ताकि वहां बूथ लूट जैसी घटनाओं को रोका जा सके। बीजेपी ने यह भी प्रस्ताव दिया कि मतदाताओं को मतदान की तारीख से 24 घंटे पहले एसएमएस के ज़रिए सूचना दी जाए, ताकि वे वोट डालने के लिए तैयार रहें। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बुर्का पहनने वाली महिला मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

इस सर्वदलीय बैठक से यह साफ हो गया है कि बिहार की सभी बड़ी पार्टियां चाहती हैं कि चुनाव प्रक्रिया को न केवल पारदर्शी बल्कि तेज़ और सुरक्षित बनाया जाए। जहां जेडीयू ने “छठ के बाद” चुनाव की वकालत की है, वहीं बीजेपी ने “केंद्रीय बलों की सुरक्षा” को प्राथमिकता देने की बात कही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि चुनाव आयोग इन राजनीतिक दलों के सुझावों को कितना गंभीरता से लेता है और बिहार में चुनाव की घोषणा कब करता है।






















