Bihar Congress Review: बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अब अपने संगठनात्मक संकट से जूझ रही है। टिकट वितरण से लेकर चुनाव रणनीति तक हर पहलू पर उठ रहे सवालों ने पार्टी की अंदरूनी खींचतान को और तेज कर दिया है। इसी उथल-पुथल के बीच कांग्रेस ने 27 नवंबर को दिल्ली में एक अहम समीक्षा बैठक बुलाई है, जिसमें बिहार चुनाव में उतरे सभी 61 प्रत्याशी अपनी-अपनी ओर से विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। हार के कारणों को समझने और भविष्य की रणनीति तय करने के लिए होने वाली यह बैठक पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बिहार में हार के बाद कांग्रेस के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ चुका है। टिकट बंटवारे और नेतृत्व की कार्यशैली को लेकर कई नेताओं ने खुलेआम नाराजगी जाहिर की है। पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में 43 नेताओं को नोटिस जारी कर दिया है, जबकि सात नेताओं को निष्कासित किया जा चुका है। इसके बावजूद बगावत की आग शांत होने का नाम नहीं ले रही। पार्टी का नाराज गुट इन दिनों दिल्ली में डेरा डालकर राहुल गांधी से मिलने और अपनी शिकायतें सीधे नेतृत्व तक पहुंचाने की कोशिश में लगा है।
दिल्ली में होने वाली समीक्षा बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, शकील अहमद खान, मदन मोहन झा और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। बैठक में यह चर्चा प्रमुख रहेगी कि आखिर 61 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस महज छह सीटों पर ही जीत क्यों हासिल कर सकी। नेताओं से अपेक्षा की गई है कि वे अपनी रिपोर्ट में क्षेत्रीय समीकरणों, विपक्षी रणनीतियों, संगठनात्मक कमजोरियों और चुनाव प्रचार की कमियों पर स्पष्ट रूप से अपनी बात रखें।
पार्टी के भीतर यह भी माना जा रहा है कि बिहार में लगातार कमजोर प्रदर्शन के पीछे आधारभूत ढांचे की कमी, स्थानीय नेतृत्व की निष्क्रियता, गठबंधन में प्रभावी भूमिका न निभा सकना और उम्मीदवार चयन में गुटबाजी जैसे कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। 27 नवंबर की बैठक के बाद यह स्पष्ट होगा कि कांग्रेस इन मुद्दों को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती है और क्या संगठनात्मक फेरबदल की दिशा में कोई ठोस निर्णय लेती है।






















