बिहार कांग्रेस (Bihar Congress) में पिछले कई महीनों से हो रहे असंतोष, गुटबाज़ी और सार्वजनिक मंचों पर दिए गए विवादित बयानों ने आखिर पार्टी नेतृत्व को कड़ा निर्णय लेने पर मजबूर कर दिया है। चुनावी दौर में टिकट वितरण से लेकर रणनीतिक फैसलों तक हाईकमान पर सवाल उठाने वाले नेताओं को अब पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। प्रदेश अनुशासन समिति ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इन सभी नेताओं की गतिविधियां न सिर्फ पार्टी लाइन के खिलाफ थीं, बल्कि संगठन की विश्वसनीयता को भी गहरी चोट पहुंचा रही थीं। इसी आधार पर उन्हें छह वर्ष की अवधि के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि सातों नेताओं से मांगा गया स्पष्टीकरण असंतोषजनक और तथ्यों से परे पाया गया। समिति ने इसे अनुशासनहीनता का गंभीर मामला मानते हुए कठोर निर्णय लिया है। निष्कासित नेताओं की सूची में कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, बिहार कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिले के रवि गोल्डेन शामिल हैं।
नीतीश कुमार से गृह विभाग छिनने पर भड़के मुकेश सहनी.. बोले- अब सीएम कुर्सी भी BJP ही तय करेगी
पार्टी के अनुसार इन नेताओं द्वारा लगातार सार्वजनिक मंचों, सोशल मीडिया और मीडिया इंटरव्यू में पार्टी के निर्णयों पर सवाल उठाना संगठन के मूल सिद्धांतों के विपरीत था। अनुशासन समिति की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि टिकट वितरण में कथित खरीद-फरोख्त जैसे गंभीर आरोपों को बिना प्रमाण के प्रचारित कर पार्टी की साख को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया। कांग्रेस नेतृत्व ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए कहा कि टिकट चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी और सभी उम्मीदवारों का चयन एआईसीसी की विस्तृत समीक्षा और अनुशंसा के बाद किया गया था।
अनुशासनहीनता के कारण संगठन पर पड़े प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए समिति ने जोर दिया कि कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद इन नेताओं के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। हाईकमान के निर्णयों को खुले तौर पर चुनौती देने से पार्टी के भीतर भ्रम की स्थिति पैदा हुई, जो चुनावी तैयारी को भी प्रभावित कर रहा था। समिति के अनुसार केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय की सहमति से इन नेताओं को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने पार्टी लाइन से इतर जाकर बयानबाज़ी जारी रखी, जो अनुशासन उल्लंघन का सीधा मामला है।






















