बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद कांग्रेस (Bihar Congress New Committee) अब संगठनात्मक मजबूती के मिशन पर उतर आई है। पार्टी उच्च नेतृत्व ने राज्य में निष्क्रिय संरचना और कमजोर संगठनात्मक पकड़ को हार का सबसे बड़ा कारण मानते हुए तुरंत सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी क्रम में लगभग 14 साल बाद बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के गठन की तैयारी शुरू कर दी गई है। नई दिल्ली में चुनाव समीक्षा बैठक के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु को नई कमेटी तैयार करने का जिम्मा सौंपा है।
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बिहार में आखिरी बार प्रदेश संगठन का विस्तार अशोक चौधरी के कार्यकाल में हुआ था, जब वर्ष 2013 में उन्हें कांग्रेस की कमान दी गई थी। वे चार साल से अधिक समय तक अध्यक्ष रहे और उसी दौरान प्रदेश कमेटी का गठन किया गया था। उसके बाद से अब तक संगठनात्मक ढांचा अधर में लटका हुआ है, जिसके कारण चुनावी तैयारी और बूथ स्तर तक पकड़ कमजोर होती चली गई। हालिया विधानसभा चुनाव में कई प्रत्याशियों ने भी संगठन के अभाव, कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और सहयोग की कमी की शिकायत सीधे नेतृत्व के सामने रखी थी।
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कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि नए ढांचे के तहत प्रदेश से लेकर जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर तक कमेटियां बनाई जाएं ताकि संगठन जमीनी स्तर पर सक्रिय हो सके। पार्टी सूत्रों के अनुसार 2026 में मकर संक्रांति के बाद प्रदेश कमेटी में शामिल नेताओं के नामों की घोषणा की जा सकती है। इससे पहले उन नेताओं की सूची तैयार की जाएगी, जो संगठन की जिम्मेदारियां निभाने में सक्षम हैं और जनता तक पार्टी की विचारधारा को ताकत के साथ प्रस्तुत कर सकें।






















