बिहार विधानसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों के बाद कांग्रेस (Bihar Congress) अब आत्ममंथन और संगठनात्मक पुनरावलोकन के दौर से गुजर रही है। दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व की बैठकें लगातार जारी हैं और इसी कड़ी में पटना के सदाकत आश्रम स्थित कांग्रेस कार्यालय में सोमवार को एक अहम मैराथन समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश के सभी 38 जिलों के जिलाध्यक्ष मौजूद रहे और प्रत्येक जिले की ग्राउंड रिपोर्ट को विस्तार से सुना गया।

बैठक की कमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्ण अल्लाह वरु के हाथों में थी। समीक्षा को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए जिलाध्यक्षों को अलग-अलग समूहों में बुलाया गया, ताकि हर जिले की चुनावी स्थिति और संगठनात्मक चुनौतियों का सूक्ष्म विश्लेषण हो सके। नेतृत्व का जोर इस बात पर रहा कि आंकड़ों और फीडबैक के आधार पर यह समझा जाए कि आखिर कांग्रेस की रणनीति कहां कमजोर पड़ गई।
राजेश राम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज की बैठक में हार के सभी पहलुओं की बारीकी से समीक्षा की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने निष्पक्षता का पालन नहीं किया और पूरे चुनाव के दौरान सरकार को खुली मदद मिलती रही। उनके अनुसार कई जिलों से यह शिकायत आई कि वोटरों के खातों में पैसे पहुंचने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे चुनावी माहौल प्रभावित हुआ।
कांग्रेस के प्रदर्शन ने पार्टी चिंतन को और तीव्र कर दिया है, क्योंकि 61 सीटों पर दांव लगाने के बावजूद पार्टी सिर्फ 6 सीटें जीत सकी। यही वजह है कि जिलाध्यक्षों से फीडबैक लेना और हर जिले की चुनावी हकीकत को समझना पार्टी की प्राथमिकता बन गई है। बैठक में मौजूद पीसीसी लीडर रोशन कुमार का कहना था कि कांग्रेस इस हार को सिर्फ संख्या के रूप में नहीं देख रही, बल्कि इसे संगठनात्मक सुधार और रणनीतिक बदलाव का अवसर मान रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी बिहार की बदलती राजनीति को चुनौती देने और अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए एक नई, मजबूत और आक्रामक रणनीति पर काम कर रही है।






















