बिहार विधानसभा चुनाव (Congress Strategy Bihar 2025) के मद्देनज़र कांग्रेस पार्टी ने मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंकने का मन बना लिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिकाएँ अब सिर्फ प्रतीक नहीं रहीं; पार्टी ने उन्हें मास्टर स्ट्रोक के रूप में तैनात किया है ताकि न सिर्फ मतदाताओं में उत्साह जगे, बल्कि जमीनी स्तर पर संगठन को फिर से खड़ा किया जाए।
प्रदेश आलाकमान ने तय किया है कि प्रत्येक जिले में कांग्रेस के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय स्तर के वक्ता जाकर ज़मीनी धरातल को सक्रिय करेंगे। यह योजना केवल सभाओं तक सीमित नहीं होगी; स्थानीय मुद्दों, प्रत्याशियों की छवि और वोटरों के साथ सीधे संवाद इस रणनीति की आत्मा है। कांग्रेस का विश्वास है कि बड़े आयोजनों से उत्पन्न हुई “लहर” को स्थिरता में बदलने का काम अब जिला और ब्लॉक स्तर पर होना चाहिए।
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि इस बार कांग्रेस केवल साझा मंच नहीं बनेगी, बल्कि महागठबंधन में अपनी केंद्रीय भूमिका का दावा करेगी। इससे यह संदेश जाएगा कि पार्टी कांग्रेस महागठबंधन की मेरुदंड है, न कि केवल गठबंधन का तुच्छ घटक। दूसरी ओर, कांग्रेस इस סוג की सक्रियता के जरिए निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को फिर से जुटाने और कमज़ोर क्षेत्रों में फिर से पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।
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राहुल‑प्रियंका की बिहार यात्रा में उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी, आरक्षण, दलितों एवं पिछड़ों के लिए सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को जोर दिया। पार्टी अंदरूनी बैठकों में यह स्पष्ट कर चुकी है कि राहुल गांधी नेतृत्व की भूमिका चुनावी अभियान में सीमित नहीं रहेगी — वे सत्ता की बात भी करेंगें, विजन भी पेश करेंगें।
कांग्रेस के रणनीतिकारों को यह भी एहसास है कि सिर्फ बड़े आयोजनों से वोट नहीं बंटेगा। इसलिए स्थानीय नेताओं को सक्रिय करना, बूथ स्तर पर संवाद को मजबूती देना और प्रत्याशी‑जन संपर्क को प्रभावी बनाना इस रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस त्वरित एवं समन्वित आंदोलन से वे निष्क्रिय कार्यकर्ताओं को पुनर्जीवित कर सकें और प्रत्येक क्षेत्र में अपना असर छोड़ सकें।






















