बिहार की राजनीति धीरे-धीरे चुनावी ताप में तपने लगी है और इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने बड़ा राजनीतिक संकेत दे दिया है। कांग्रेस ने इस बार स्पष्ट कर दिया है कि वह गठबंधन धर्म के नाम पर RJD या किसी अन्य सहयोगी दल के दबाव में सीटें नहीं छोड़ेगी। राजधानी पटना के होटल मौर्य में आयोजित विधायक दल की बैठक में कांग्रेस ने अपने नेताओं से जमीनी रिपोर्ट ली। बैठक में पार्टी के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रसाद सिंह और तमाम विधायक एवं पूर्व विधायक शामिल हुए।
बैठक में खास चर्चा इस बात पर हुई कि 2020 में जिन 70 सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी, उनमें से 90% पर एनडीए की मजबूत पकड़ थी। इसके बावजूद कांग्रेस को मजबूरन शहरी सीटें दी गईं, जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत रही। परिणामस्वरूप कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत सकी। इससे सबक लेते हुए इस बार कांग्रेस ने तय किया है कि वह ‘विजयी संभावनाओं’ वाली सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी।
विधायक नीतू सिंह ने कहा कि हम फीडबैक के आधार पर तय करेंगे कि कहां लड़ना है। इस बार लक्ष्य स्पष्ट है — केवल जीतने वाली सीटों पर ही फोकस होगा। प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने बताया कि हम INDIA गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगे, लेकिन कांग्रेस अपनी ताकत के साथ सीटों की मांग करेगी। हम जनता के मूड के मुताबिक रणनीति बना रहे हैं।
इसका सीधा अर्थ यह निकाला जा रहा है कि कांग्रेस, RJD के दबाव में सीट नहीं छोड़ेगी। पार्टी अपनी ‘प्रिय सीटों’ को सुरक्षित रखना चाहती है, खासकर वे सीटें जहां कांग्रेस की ऐतिहासिक पकड़ रही है या हालिया फीडबैक अच्छा मिला है।