बिहार के मोतिहारी जिले में पुलिस महकमे को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जहां रक्सौल थानेदार पर न केवल ₹1.80 लाख के कपड़े लेकर पैसा न लौटाने, बल्कि उल्टा पीड़ित व्यापारी को झूठे अपहरण के केस में फंसाने का आरोप लगा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में डीएसपी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
व्यापारी के साथ सिस्टम की क्रूरता
रक्सौल के कपड़ा व्यापारी टुन्ना प्रसाद ने जब अपने पैसे की मांग की, तो पुलिस की साख के रखवाले ही उनके खिलाफ साजिश रचते नजर आए। शिकायत के अनुसार, थानेदार ने न केवल भुगतान करने से इनकार किया, बल्कि झूठे अपहरण के केस में उन्हें फंसाया। यही नहीं, दलाल शिवपूजन शर्मा उर्फ समर जी ने रक्सौल डीएसपी के नाम पर केस से नाम हटवाने के लिए बड़ी रकम वसूल ली।
DIG हरिकिशोर राय का एक्शन: थानेदार निलंबित, दलाल सलाखों के पीछे
टुन्ना प्रसाद की शिकायत मिलने के बाद चंपारण रेंज के डीआईजी हरिकिशोर राय ने खुद इस मामले की जांच की। जैसे ही आरोप सही पाए गए, थानेदार को तत्काल निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। दलाल समर जी की गिरफ्तारी ने इस केस को और भी गंभीर बना दिया। पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं।
DSP की भूमिका संदिग्ध, गहराई से जांच शुरू
समर जी ने पैसे वसूलने में रक्सौल डीएसपी के नाम का इस्तेमाल किया। इस तथ्य ने पुलिस तंत्र में उच्च स्तर तक फैले भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया। DIG ने DSP की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है। यह मामला अब केवल एक थानेदार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बिहार पुलिस में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।