बिहार की राजनीति में मधुबनी जिले की बाबूबरही विधानसभा (Babubarhi Vidhansabha) सीट हमेशा से अहम भूमिका निभाती रही है। सीमाई क्षेत्र की इस सीट पर जदयू का दबदबा मजबूत माना जाता है। कपिल देव कामत जैसे दिग्गज नेताओं ने यहां राजनीति को नई दिशा दी और जदयू को लगातार मजबूती प्रदान की। हालांकि आरजेडी भी इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए हुए है, जिसने कई बार यहां से जीत दर्ज की है। यही कारण है कि बाबूबरही विधानसभा सीट हर चुनाव में सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए समीकरणों की परीक्षा बनकर सामने आती है।
राजनीतिक इतिहास
1977 में यहां पहली बार चुनाव हुआ और जनता पार्टी के देव नारायण यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र नारायण झा को हराकर सीट पर कब्जा किया। इसके बाद 1980 में महेंद्र नारायण झा ने वापसी करते हुए जीत हासिल की और जनता पार्टी को शिकस्त दी। 1985 में गुणानंद झा ने कांग्रेस के लिए जीत दर्ज की। शुरुआती दौर में कांग्रेस और जनता पार्टी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली, लेकिन 1990 के दशक में आरजेडी का दबदबा बढ़ा।
Khajauli Vidhansabha: कांग्रेस का पुराना गढ़, भाजपा का नया ठिकाना और राजद की चुनौती
2000 और 2003 के उपचुनाव में आरजेडी ने लगातार जीत दर्ज की। फरवरी 2005 के चुनाव में भी आरजेडी ने बढ़त बनाए रखी, लेकिन उसी साल अक्टूबर में जब राज्य की राजनीति में बहुमत का संकट खड़ा हुआ, तब जदयू के कपिल देव कामत ने जीत हासिल की और यहां से जदयू का दबदबा शुरू हुआ। कपिल देव कामत अपनी साफ छवि और जनसंपर्क के लिए जाने जाते थे। उन्होंने लंबे समय तक इस क्षेत्र की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाए रखी।
पिछले चुनाव के नतीजे
2010 में आरजेडी प्रत्याशी उमाकांत यादव ने कपिल देव कामत को हराकर बड़ा उलटफेर किया। उमाकांत यादव को 51,772 वोट मिले जबकि कपिल देव कामत को 46,859 वोटों से संतोष करना पड़ा।
हालांकि 2015 में हुए चुनाव में कपिल देव कामत ने एनडीए प्रत्याशी बिनोद कुमार सिंह को शिकस्त देकर अपनी ताकत फिर से साबित की। उस चुनाव में जदयू महागठबंधन का हिस्सा था और कपिल देव कामत ने 61,486 वोट हासिल किए जबकि एलजेपी प्रत्याशी को केवल 41,219 वोट मिले।
2020 का चुनाव इस सीट के लिए निर्णायक साबित हुआ। इस बार जदयू ने मीना कुमारी को मैदान में उतारा और उन्होंने आरजेडी के उमाकांत यादव को 11,488 वोटों के अंतर से हराकर पार्टी का किला और मजबूत कर दिया। मीना कुमारी को 77,367 वोट मिले जबकि उमाकांत यादव को 65,879 वोट हासिल हुए।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण बाबूबरही की राजनीति की रीढ़ माने जाते हैं। यादव और मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक स्थिति में हैं, वहीं ब्राह्मण, राजपूत, पासवान और रविदास मतदाताओं की संख्या भी कम नहीं है। इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,60,449 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष 1,37,039 और महिलाएं 1,23,397 हैं। इन समीकरणों के कारण यहां हर चुनाव दिलचस्प और प्रतिस्पर्धात्मक बन जाता है।
बाबूबरही विधानसभा का राजनीतिक इतिहास साफ संकेत देता है कि यह सीट किसी एक पार्टी की स्थायी संपत्ति नहीं रही, हालांकि वर्तमान में जदयू का दबदबा स्पष्ट है। 2025 के चुनाव में महागठबंधन की सक्रियता और जातीय समीकरणों का प्रभाव इस सीट को एक बार फिर बिहार की सबसे चर्चित सीटों में शामिल कर सकता है।




















