बिहार की राजनीति (Bihar Politics) में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने एक बार फिर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए नया रिकॉर्ड बनाया था। इस चुनाव में कुल 26 महिला उम्मीदवारों को जीत मिली, जिनमें सबसे अधिक महिलाएं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं।
2020 में BJP ने 14 महिला प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा, जिनमें से 9 ने जीत दर्ज की। 2015 के विधानसभा चुनाव में BJP ने 14 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था, लेकिन उनमें से सिर्फ 4 ही जीत पाई थीं। इनमें भाजपा की आशा देवी दानापुर से जीतीं थी। इसके साथ परिहार से गायत्री देवी, वारसलीगंज से अरुणा देवी और रामनगर से भागीरथी देवी जीती थी। जबकि 2010 में भाजपा ने 11 महिला उम्मीदवार बिहार विधानसभा चुनाव में उतारे थे। इसमें पांच उम्मीदवारों को जीत मिली थी। इनमें दानापुर से आशा देवी, नरपतगंज से देवंती यादव, शाहपुर से मुन्नी देवी, बेतिया से रेणु और गायघाट से वीणा देवी ने जीत हासिल की थी।
जबकि 2020 में भाजपा के टिकट पर जीतने वाली महिलाओं में गायत्री देवी (परिहार), भागीरथी देवी (रामनगर), रेणु देवी (बेतिया), डॉ. निक्की हेम्ब्रम (कटोरिया), श्रेयसी सिंह (जमुई), रश्मि वर्मा (नरकटियागंज), निशा सिंह (प्राणपुर), कविता देवी (कोरहां), और अरुणा देवी (वारसलीगंज) शामिल हैं।
1951 से 2020 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार के चुनावी इतिहास में महिला प्रत्याशियों की जीत की कुल संख्या 258 तक पहुंच गई है। हालांकि महिलाओं की भागीदारी में यह वृद्धि धीमी लेकिन स्थिर रही है। इनमें 1972 का चुनाव एक ऐसा वर्ष था जब 45 महिलाएं मैदान में उतरीं, लेकिन एक भी महिला जीत दर्ज नहीं कर सकी। इसके पहले, 1969 में केवल 3 महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।
2020 में प्रमुख राजनीतिक दलों—JDU, BJP, RJD, LJP और कांग्रेस ने कुल मिलाकर 87 महिलाओं को टिकट दिया। हालांकि, BJP महिलाओं को चुनावी राजनीति में स्थान देने और उनकी जीत सुनिश्चित करने में सबसे आगे रही। 2010 के चुनाव में JDU ने 23 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से सभी ने जीत दर्ज की थी। यह किसी एक दल द्वारा महिलाओं की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है। उस समय कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी।






















