बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तैयारियों को लेकर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों और अन्य राज्यों के उपचुनावों में तैनात किए जाने वाले केंद्रीय पर्यवेक्षकों को एक विशेष ब्रीफिंग दी। इस अहम बैठक में कुल 425 अधिकारी शामिल हुए, जिनमें 287 आईएएस, 58 आईपीएस और 80 आईआरएस, आईआरएएस व आईसीएएस सहित विभिन्न सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। यह ब्रीफिंग दिल्ली स्थित आईआईआईडीईएम (India International Institute of Democracy and Election Management) में आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने की। उनके साथ चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद थे। ज्ञानेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षक लोकतंत्र के “प्रकाशस्तंभ” हैं और वे आयोग की आँख और कान की भूमिका निभाते हैं। उन्होंने पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया कि वे चुनावी प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करें।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि पर्यवेक्षकों की भूमिका सिर्फ़ निगरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और आम मतदाताओं की शिकायतों का निवारण भी समय पर करना होगा। इसके अलावा, मतदान केंद्रों का दौरा करना, मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग द्वारा की गई नई पहलों के क्रियान्वयन की निगरानी करना और जमीनी स्तर से निष्पक्ष इनपुट प्रदान करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी।
कानूनी दृष्टिकोण से भी पर्यवेक्षकों की भूमिका बेहद अहम है। संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 20बी के तहत आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। इन शक्तियों के तहत ही केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाती है। वे न सिर्फ़ मतदान प्रक्रिया की देखरेख करते हैं, बल्कि चुनावी प्रबंधन को और अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने में भी योगदान देते हैं।






















