बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गर्मी तेज हो गई है। रविवार, 8 जून को NDA के दो प्रमुख सहयोगी दलों—लोजपा (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) ने दो बड़े शक्ति प्रदर्शन कर यह स्पष्ट कर दिया कि वे केवल गठबंधन के हिस्सेदार ही नहीं, बल्कि चुनावी मुकाबले में अपने दम पर निर्णायक भी हो सकते हैं।
शाहाबाद में चिराग का नव संकल्प: पिछली हार की भरपाई का मिशन
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) ने आरा में एक ऐतिहासिक ‘नव संकल्प महासभा’ का आयोजन किया। यह वही शाहाबाद क्षेत्र है जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए बुरी तरह हार गया था। 20 में से सिर्फ दो सीटें एनडीए जीत सका था। इस बार चिराग पासवान ने इसी ‘कमजोर किले’ से शुरुआत की है। रैली में उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है बिहार को नई दिशा देना – बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का संकल्प दोहराया जाएगा। पार्टी की ओर से चिराग को शाहाबाद क्षेत्र से किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव भी पास किया गया है।
मुजफ्फरपुर में कुशवाहा की महारैली: सामाजिक न्याय का मुद्दा केंद्र में
वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) ने मुजफ्फरपुर में ‘संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली’ का आयोजन किया। रैली में उपेंद्र कुशवाहा ने 13 जिलों से कार्यकर्ताओं को जुटाकर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया।
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हम न केवल सत्ता में भागीदारी चाहते हैं, बल्कि परिसीमन और सामाजिक न्याय के मुद्दे को चुनावी विमर्श का केंद्र बनाना चाहते हैं।
राजनीतिक समीकरण: सीट बंटवारे की रणनीति लगभग फाइनल
एनडीए में सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय माना जा रहा है।
- JDU को 102-103 सीटें
- BJP को 101-102 सीटें
- लोजपा (रामविलास) को 25-28 सीटें
- हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 6-7 सीटें
- राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें