बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राजनीतिक गलियारों में तेजी से गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। महागठबंधन की हालिया चौथी बैठक के बाद अब कांग्रेस ने भी अपनी रणनीतिक चालें चलनी शुरू कर दी हैं। 15 जून को पटना स्थित होटल मौर्या में कांग्रेस ने विधायक दल की आपात बैठक बुलाई है।
इस विशेष बैठक में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और तमाम विधायक शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस बैठक में पार्टी नेतृत्व द्वारा हर विधायक को विशिष्ट जमीनी जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। सबसे अहम जिम्मेदारी होगी – ‘माई बहिन मान योजना’ को धरातल पर उतारना।
यह योजना कांग्रेस के लिए बिहार चुनाव 2025 में एक राजनीतिक ‘टूल’ के रूप में पेश की जा रही है। पार्टी इस योजना के जरिए महिलाओं और पिछड़े वर्गों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाना चाहती है। पार्टी का मानना है कि यह योजना कांग्रेस को गांव-गांव तक ले जा सकती है, और यही उसे महागठबंधन में एक निर्णायक फैक्टर बना सकता है।
12 जून को तेजस्वी यादव के आवास पर हुई महागठबंधन की चौथी बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में यह भी तय हुआ कि किन नेताओं को इस बार टिकट नहीं मिलेगा। इससे कांग्रेस सहित अन्य सहयोगी दलों में असंतोष की स्थिति भी बन रही है। ऐसे में कांग्रेस की 15 जून की बैठक को एक राजनीतिक जवाबी कदम के रूप में भी देखा जा रहा है — जो यह संकेत देता है कि पार्टी अब सिर्फ सहायक की भूमिका में नहीं रहना चाहती।
कांग्रेस इस बार चुनाव को कार्यकर्ता-केंद्रित बनाना चाहती है। पार्टी ने फैसला किया है कि विधायक अपने क्षेत्रों में नियमित जनसंपर्क करें और केंद्र व राज्य की योजनाओं का जन-जन में प्रचार करें, खासकर ‘माई बहिन मान योजना’ का।