बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar election 2025) के लिए महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध अब खुलकर सामने आने लगा है। सहयोगी दलों के बीच तालमेल की धीमी रफ्तार ने गठबंधन के अंदर असंतोष की स्थिति पैदा कर दी है। इसी बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बड़ा कदम उठाते हुए अपने दो मौजूदा विधायकों को खुद ही नामांकन दाखिल करने की अनुमति दे दी है।
सीपीएम (CPM) ने शुक्रवार को अपने विधायकों अजय कुमार (विभूतिपुर) और सत्येंद्र यादव (मांझी) को नामांकन दाखिल करने की औपचारिक मंजूरी दे दी। पार्टी के राज्य सचिव मंडल सदस्य मनोज चंद्रवंशी ने कहा कि ये दोनों उम्मीदवार “इंडिया गठबंधन समर्थित” होंगे, लेकिन पार्टी अब महागठबंधन की अंदरूनी देरी पर निर्भर नहीं रहेगी। चंद्रवंशी ने यह भी बताया कि शेष 9 विधानसभा सीटों पर पार्टी का दावा बरकरार है, जिनके उम्मीदवारों की घोषणा आने वाले दो दिनों में की जाएगी।
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माकपा का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान अपने चरम पर है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एम. ए. बेबी ने हाल ही में राज्य समिति की बैठक में कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वे जनता के बीच जाकर “महागठबंधन को मजबूत बनाने और चुनावी फंड जुटाने” में लग जाएं। यह संदेश इस बात का भी संकेत था कि माकपा मैदान में उतरने को तैयार है — चाहे सीट बंटवारे का औपचारिक एलान हो या न हो।
इधर, गठबंधन की दूसरी वामपंथी सहयोगी पार्टी सीपीआई (माले) ने भी अपने रुख को बेहद सख्त कर दिया है। माले ने आरजेडी के 19 सीटों के ऑफर को ठुकराते हुए 30 सीटों की नई मांग रखी है, और यह स्पष्ट कर दिया है कि इस पर कोई समझौता नहीं होगा। पार्टी चाहती है कि उसे दरभंगा, मधुबनी, गया, नालंदा और चंपारण जैसे इलाकों में मजबूत उपस्थिति का अवसर मिले।
2020 के विधानसभा चुनाव में माले ने 19 सीटों पर मुकाबला किया था और उनमें से 12 पर जीत दर्ज की थी। वहीं, हालिया लोकसभा चुनाव में भी माले ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 2 सीटों पर उसने जीत हासिल की। यह प्रदर्शन अब माले को महागठबंधन में “महत्वपूर्ण हिस्सेदार” के रूप में पेश कर रहा है।






















