बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भागलपुर जिले की गोपालपुर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 153) एक बार फिर सियासी हलचल का केंद्र बन चुकी है। यह सीट लंबे समय से बड़े दलों के बीच टकराव का गढ़ रही है। गोपालपुर सीट का चुनावी इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1985 में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की थी, लेकिन 1990 में पहली बार बीजेपी ने अपनी एंट्री मारी। हालांकि, उसके बाद से बीजेपी इस सीट पर दोबारा सफलता हासिल नहीं कर पाई। यहां पर पिछले तीन चुनावों से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का दबदबा कायम है।
चुनावी इतिहास
2010 और 2015 के चुनावों में जेडीयू प्रत्याशी नरेंद्र कुमार नीरज ने लगातार जीत दर्ज की। 2010 में उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार अमित राणा को शिकस्त दी थी, जबकि 2015 में बीजेपी के अनिल कुमार यादव को मात दी। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नरेंद्र कुमार नीरज ने अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी और राजद के शैलेश कुमार को 24,461 वोटों के अंतर से हराया। इस चुनाव में नीरज को 46.39 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि शैलेश कुमार को 31.37 प्रतिशत वोटों से संतोष करना पड़ा। एलजेपी उम्मीदवार सुरेश भगत को 14.38 प्रतिशत वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे।
जातीय समीकरण
यहां का जातीय समीकरण हर बार चुनावी नतीजों को पलट देता है। गोपालपुर में मुस्लिम और यादव मतदाता हमेशा से जीत-हार तय करने वाले माने जाते हैं, जबकि राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और रविदास की संख्या भी यहां के राजनीतिक समीकरण को संतुलित करती है। जातीय आधार पर देखें तो मुस्लिम और यादव मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं, और यही वजह है कि हर दल की रणनीति इन्हीं समुदायों को साधने पर केंद्रित रहती है।
2025 के चुनाव में भी गोपालपुर सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा। जेडीयू जहां अपनी पकड़ को बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं आरजेडी और कांग्रेस इस सीट को छीनने के लिए पूरा दम लगाएंगे। बीजेपी फिलहाल बैकफुट पर नजर आ रही है, लेकिन दलित और ऊपरी जातियों के वोट बैंक पर दांव खेलकर वह समीकरण बदलने की रणनीति बना सकती है।






















