बिहार में महागठबंधन (Mahagathbandhan Bihar Politics) की एकजुटता को लेकर विपक्षी दलों के बीच सियासी गर्मी तेज हो गई है। आज जब राजद-कांग्रेस गठबंधन ‘चलो बिहार, बदलें बिहार’ के नारे के साथ साझा घोषणा पत्र जारी करने की तैयारी कर रहा है, उसी वक्त एनडीए ने इस ‘एकता प्रदर्शन’ को दिखावटी बताया है। जेडीयू और भाजपा नेताओं ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व और गठबंधन की आंतरिक स्थिति पर तीखे हमले किए हैं।
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि “महागठबंधन का संवाददाता सम्मेलन बहुत देर से हो रहा है। विधानसभा सीटें कुल 243 हैं, लेकिन इनके उम्मीदवार 255 हैं। ये गणित सिर्फ भ्रष्टाचारियों का हो सकता है।” उन्होंने यह भी तंज कसा कि साझा मंच पर केवल तेजस्वी यादव का ही चेहरा क्यों है? “राहुल गांधी कहां हैं? मुकेश सहनी का फोटो क्यों नहीं है? क्या अति पिछड़ा होना गुनाह है?” — नीरज कुमार के इस बयान से स्पष्ट है कि जेडीयू महागठबंधन के भीतर चल रहे जातीय और नेतृत्व विवाद को भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है।
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वहीं, जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने महागठबंधन की स्थिति को “बीमार” बताते हुए कहा कि “महागठबंधन की सेहत सुधरने वाली नहीं है। अगर तेजस्वी यादव की इतनी स्वीकार्यता होती, तो एक दर्जन सीटों पर आपसी टकराव नहीं होता।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “तेजस्वी चाहे मुख्यमंत्री चेहरा बनें या न बनें, महागठबंधन की बड़ी हार तय है।”
भाजपा की ओर से भी तीखे बयान सामने आए हैं। पार्टी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि “महागठबंधन में महादरार है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस दरार को भरने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं। राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। जनता अब ठान चुकी है – जीतेगा NDA, सरकार बनाएगा NDA।”
इसी कड़ी में बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महागठबंधन को पूरी तरह असंगठित बताते हुए कहा कि “जो दल सीटों का बंटवारा तक नहीं कर पा रहे, वो बिहार की सरकार कैसे चला सकते हैं? जनता सब समझती है। यह गठबंधन सिर्फ सत्ता की भूख में बना है, जिसमें हर दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगा है।”






















