बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) की तैयारियों ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे की गहमागहमी चरम पर है। जहां एनडीए में सहयोगी दल अपने-अपने प्रभाव को साबित करने की कवायद में जुटे हैं, वहीं महागठबंधन में भी सीट शेयरिंग पर बड़ा संग्राम शुरू हो गया है। ताजा घटनाक्रम में CPI(ML) यानी माले ने महागठबंधन के भीतर 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया है।
मोतिहारी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में माले के राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी ने 40 सीटों पर चुनावी तैयारी पूरी कर ली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन सीटों की लिस्ट महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी को सौंप दी गई है। कुणाल ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान जहां-जहां से माले को चुनाव लड़ने का मौका मिला, वहां महागठबंधन को मजबूती मिली और इसका फायदा सभी दलों ने देखा।
महागठबंधन में पहले से ही कांग्रेस और वीआईपी सीटों को लेकर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। अब माले के 40 सीटों के दावे ने अंदरखाने टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि माले की मांग अगर पूरी नहीं हुई तो इसका असर न केवल महागठबंधन की एकजुटता पर पड़ेगा बल्कि विपक्ष के वोट बैंक पर भी सीधा असर देखने को मिल सकता है।
गौरतलब है कि बिहार में माले का प्रभाव कुछ विशेष इलाकों में काफी मजबूत माना जाता है। विशेषकर सीमांचल, भोजपुर और मगध जैसे इलाकों में पार्टी का कैडर आधारित संगठन वोटों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। ऐसे में माले का सीट शेयरिंग को लेकर आक्रामक रुख महागठबंधन की रणनीति को नई चुनौती दे रहा है।






















