बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) के पहले चरण के नामांकन की समयसीमा खत्म हो गई है, लेकिन महागठबंधन अब भी सीट शेयरिंग के पेच में उलझा हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस ने जरूर अपने 48 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है, लेकिन आरजेडी और वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) की ओर से अभी तक कोई औपचारिक सूची नहीं आई। यह स्थिति न केवल महागठबंधन की अंदरूनी असहमति को उजागर करती है, बल्कि पहले चरण की 121 सीटों पर भ्रम की स्थिति भी पैदा कर रही है।
जानकारी के अनुसार, पहले चरण में जिन 121 सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें से 6 सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी दोनों ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसका मतलब यह है कि गठबंधन के दो बड़े घटक अब एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं, जिससे विपक्षी एकता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
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वहीं, वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने शुक्रवार को चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें राज्यसभा नहीं चाहिए, बल्कि बिहार का डिप्टी सीएम बनना है। सहनी ने दरभंगा की गौराबौराम सीट से अपने भाई संतोष सहनी को उम्मीदवार बनाया और खुद प्रचार की कमान संभालने की बात कही। कांग्रेस के राज्यसभा ऑफर को ठुकराते हुए सहनी ने राहुल गांधी को लिखे पत्र में कहा कि, “वादे के मुताबिक हमें सीटें नहीं दी गईं, इसलिए अब मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ जनता के बीच जाऊंगा।”
दूसरी ओर, NDA पूरी मजबूती के साथ एकजुटता का संदेश दे रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने महागठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि, “विपक्ष की हालत देखकर लगता है कि हम 225 सीटें आराम से पार कर लेंगे। महागठबंधन एक दलदल में फंसा हुआ है। जो दल अपने ही गठबंधन के भीतर मसले नहीं सुलझा पा रहा, वो बिहार के मुद्दे क्या सुलझाएगा?”
शांभवी चौधरी ने यह भी कहा कि “NDA में कभी कोई रुकावट नहीं रही। जब भी सीट शेयरिंग या रणनीतिक फैसलों की बात आती है, हमारी शीर्ष नेतृत्व एक साथ बैठकर समाधान निकालती है। NDA अब बिहार के लिए एक मजबूत, स्थिर और विकास-केंद्रित फ्रंट के रूप में तैयार है।”






















