बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी माहौल में नए विवाद उभरते जा रहे हैं। दरभंगा और गया के बाद अब काइमूर जिले की 204-मोहनिया (SC) विधानसभा सीट महागठबंधन के लिए नई परेशानी बन गई है। बीजेपी ने इस सीट से आरजेडी प्रत्याशी स्वेता सुमन की उम्मीदवारी को चुनौती देते हुए उनके नामांकन पत्र को रद्द करने की मांग की है।
पटना में आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा न्यायिक एवं चुनाव आयोग संपर्क विभाग के प्रमुख विंध्याचल राय ने कहा कि स्वेता सुमन ने अनुसूचित जाति के प्रमाणपत्र के आधार पर मोहनिया (SC) आरक्षित सीट से नामांकन दाखिल किया है, जबकि वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। राय ने कहा कि “किसी भी राज्य की अनुसूचित जाति सूची दूसरे राज्य में स्वतः मान्य नहीं होती। बिहार में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए यह जरूरी है कि उम्मीदवार बिहार की अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध जाति से संबंध रखता हो।”
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विंध्याचल राय ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान स्वेता सुमन ने “सुमन देवी पत्नी विनोद राम” नाम से मोहनिया सीट से नामांकन दाखिल किया था। उस समय उन्होंने खुद को ‘चमाड़ जाति’ से संबंधित बताया था, जो उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति में आती है। लेकिन बिहार में यह जाति राज्य की अनुसूचित जाति सूची में शामिल नहीं है। इस कारण, उनके नामांकन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराओं के तहत अमान्य माना जाना चाहिए।
बीजेपी नेता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “उत्तर प्रदेश राज्य में अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित जाति, बिहार में स्वतः अनुसूचित नहीं मानी जा सकती, जब तक कि बिहार सरकार की अधिसूचना में उसका उल्लेख न हो।” उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी ने जानबूझकर ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है, जो कानूनी रूप से आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है।
विंध्याचल राय ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि वह तत्काल इस मामले की जांच करे और स्वेता सुमन का नामांकन पत्र निरस्त करे। उन्होंने कहा कि “भाजपा बिहार के किसी भी दलित की हकमारी नहीं होने देगी। अगर आवश्यकता पड़ी तो हम कानूनी विकल्पों का भी सहारा लेंगे।”