विधानसभा चुनाव 2025 के पहले महागठबंधन (Mahagathbandhan) में दरार के संकेत तेज हो गए हैं। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी ने अपने नए राजनीतिक पोस्टर से “महागठबंधन सरकार” शब्द हटा दिया है, जिससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सहनी एक बार फिर से राजनीतिक पाला बदलने की तैयारी में हैं?
दरअसल, दो दिन पहले तक मुकेश सहनी के पोस्टर पर साफ लिखा था—“14 नवंबर, आ रही है महागठबंधन सरकार।” लेकिन शनिवार शाम को जारी किए गए उनके नए पोस्टर ने पूरे राजनीतिक समीकरण को झकझोर दिया। अब पोस्टर की भाषा पूरी तरह बदल गई है। लिखा गया है—“14 नवंबर को हम बिहार में ऐसी सरकार बनाएंगे, जहां हर वर्ग को उसका हक और सम्मान मिलेगा।” यानी “महागठबंधन” शब्द पूरी तरह गायब हो गया। इस बदलाव ने विपक्षी खेमे के भीतर बिखराव के संकेत और मजबूत कर दिए हैं।
सहनी के इस कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। कई वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि यह कदम महागठबंधन के भीतर असंतोष और अविश्वास को उजागर करता है। बताया जा रहा है कि सीट बंटवारे को लेकर वीआईपी और राजद (RJD) के बीच खींचतान बढ़ गई थी। सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन नेतृत्व ने सहनी को साफ संदेश दे दिया था कि अगर वे अपनी शर्तों पर अड़े रहे, तो गठबंधन में उनके लिए कोई जगह नहीं होगी।
यही नहीं, सोशल मीडिया पर चल रही रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि महागठबंधन ने सहनी को “थैंक यू” बोल दिया है, यानी उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस बीच, सहनी ने शुक्रवार को भी एक पोस्ट किया था जिसमें लिखा था—“मैंने संघर्ष का रास्ता चुना है।” इस बयान ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है।
NDA-महागठबंधन Seat Sharing : बिहार में नहीं बन रही बात.. दिल्ली में हलचल तेज, मुलाकातों का दौर जारी
यह पहली बार नहीं है जब मुकेश सहनी का महागठबंधन के साथ रिश्ता बिगड़ा हो। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने सीट बंटवारे के मुद्दे पर तेजस्वी यादव पर “पीठ में छुरा घोंपने” का आरोप लगाते हुए गठबंधन से अलग होने का ऐलान किया था। इसके बाद उन्होंने एनडीए (NDA) का रुख किया और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। भाजपा ने तब उन्हें अपने कोटे से 11 सीटें दी थीं। उस समय उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपना “राजनीतिक गुरु” बताया था।
अब जबकि बिहार में फिर से सियासी गठबंधन बन और टूट रहे हैं, सहनी का यह कदम संकेत देता है कि वे एक बार फिर राजनीतिक पुनर्स्थापन की ओर बढ़ सकते हैं। क्या वे फिर एनडीए के पाले में जाएंगे या तीसरा रास्ता चुनेंगे, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। फिलहाल इतना तय है कि मुकेश सहनी के एक पोस्टर ने बिहार की सियासत को फिर से गरमा दिया है।