Munger Vidhansabha Election 2025:बिहार की राजनीति में मुंगेर विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 165) एक ऐसी जगह मानी जाती है, जहां हर चुनाव नया इतिहास लिखता है। मुंगेर जिला मुख्यालय से जुड़ी यह सीट 1957 में अस्तित्व में आई और पहले दो चुनावों में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। लेकिन 1967 से यहां का राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगा। 1972 में कांग्रेस ने आखिरी बार जीत दर्ज की, उसके बाद यह सीट कांग्रेस के हाथों से पूरी तरह निकल गई।
चुनावी इतिहास
90 के दशक में जब क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ा तो यहां भी उसका असर दिखाई दिया। 2000 में पहली बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन ज्यादा समय तक अपनी पकड़ बनाए नहीं रख सका। जेडीयू ने 2005 में इस सीट पर कब्जा किया और उपचुनाव में भी जीत हासिल की। हालांकि, 2009 के उपचुनाव में आरजेडी ने वापसी की। 2010 में जेडीयू के अनंत कुमार विजयी रहे, जबकि 2015 में आरजेडी के विजय कुमार ने बीजेपी प्रत्याशी प्रणव कुमार को मात दी। उस समय विजय कुमार ने 4,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।
Belhar Vidhansabha Election 2025: यादव फैक्टर और जेडीयू-आरजेडी की टक्कर ने बनाया इसे हॉट सीट
2020 में इस सीट ने एक बार फिर करवट ली और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रणव कुमार यादव ने कांटे की टक्कर में आरजेडी के अविनाश कुमार विद्यार्थी को मात्र 1244 वोटों से शिकस्त दी। चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि प्रणव कुमार को 75,573 और अविनाश विद्यार्थी को 74,329 वोट मिले। यह नतीजा इस बात का संकेत था कि यहां की राजनीति अब दो ध्रुवीय मुकाबले में बदल चुकी है।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की दृष्टि से मुंगेर विधानसभा बेहद अहम मानी जाती है। यहां यादव और कुशवाहा समुदाय की संख्या निर्णायक भूमिका निभाती है। वहीं भूमिहार, सामान्य वर्ग और एससी-एसटी वोटर्स भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो हिंदू 51.02%, मुस्लिम 48% और अन्य धर्म के लोग करीब 1% हैं। 2008 के परिसीमन के बाद भूमिहार वोटरों का असर भी काफी बढ़ गया है।
2011 की जनगणना के अनुसार, इस विधानसभा की कुल आबादी 4,56,751 है, जिसमें से 52.22% ग्रामीण और 47.78% शहरी मतदाता हैं। अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 9.63% और अनुसूचित जनजाति की 0.3% है। यह सामाजिक संरचना इसे बिहार की सबसे संवेदनशील और दिलचस्प विधानसभा सीटों में से एक बना देती है।
2025 के आगामी चुनाव को देखते हुए यहां मुकाबला और भी रोचक हो सकता है। बीजेपी जहां अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करेगी, वहीं आरजेडी इस सीट को वापस लेने के लिए रणनीति बनाएगी। जेडीयू भी समीकरण बिगाड़ने की ताकत रखता है। ऐसे में मुंगेर विधानसभा एक बार फिर बिहार की राजनीति की धड़कन बनने जा रही है।






















