नरपतगंज विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 46) Narpatganj Vidhan Sabha बिहार की राजनीति में अपनी खास पहचान रखती है। अररिया जिले की यह सीट लंबे समय से राजनीतिक उतार-चढ़ाव और जातीय समीकरणों का गवाह रही है। यहां पहली बार 1962 में चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत की। 1972 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही, लेकिन उसके बाद राजनीतिक समीकरण बदलते गए।
चुनावी इतिहास
2005 और 2010 में यह सीट भाजपा के खाते में गई, जबकि 2015 में आरजेडी ने यहां वापसी की। 2015 के चुनाव में आरजेडी के अनिल कुमार यादव ने भाजपा के जनार्दन यादव को 25,951 वोटों के बड़े अंतर से हराकर बाजी मारी। हालांकि, 2020 में राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई और भाजपा उम्मीदवार जय प्रकाश यादव ने आरजेडी के अनिल कुमार यादव को 28,610 मतों से पराजित कर सीट दोबारा भाजपा की झोली में डाल दी। जय प्रकाश यादव ने 98,397 वोट हासिल किए, जबकि अनिल कुमार यादव को 69,787 वोट मिले। वोट शेयर के लिहाज से भाजपा ने 49.06% हासिल कर चुनाव में मजबूत पकड़ दिखाई।
जातीय समीकरण
जातीय समीकरण की बात करें तो नरपतगंज की राजनीति पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है। दोनों समुदाय मिलाकर यहां 40% से ज्यादा आबादी रखते हैं, जिससे यह समीकरण किसी भी दल की जीत-हार तय करने में सबसे निर्णायक साबित होता है। इसके साथ ही ब्राह्मण मतदाता भी यहां शक्ति संतुलन का काम करते हैं। यही वजह है कि चुनावी मैदान में उम्मीदवारों की रणनीति इन्हीं वर्गों के इर्द-गिर्द घूमती है।
Chhatapur Vidhansabha : हैट्रिक लगा चुके हैं भाजपा के नीरज बबलू, 2025 में कौन है
नरपतगंज विधानसभा में कुल 2,67,939 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1,42,968 पुरुष और 1,24,967 महिला वोटर्स शामिल हैं। यह आंकड़ा बताता है कि महिलाओं की भागीदारी भी यहां चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। भाजपा अपने मौजूदा विधायक जय प्रकाश यादव के सहारे जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश करेगी, जबकि आरजेडी एक बार फिर मुस्लिम-यादव समीकरण को साधकर सीट दोबारा हासिल करना चाहेगी। देखना होगा कि इस बार मतदाता 2020 के जनादेश को बरकरार रखते हैं या फिर 2015 की तरह सत्ता परिवर्तन का रास्ता चुनते हैं।






















